नई खोज: एक कक्षा साझा कर सकते हैं दो ग्रह
दो ग्रह एक कक्षा साझा कर सकते हैं, इसका पहली बार पता चला है। दूर अंतरीक्ष में दोनों ग्रह एक दूसरे के आगे पीछे चल रहे हैं। इन ग्रहों का नाम पीडीएस 70बी और पीडीएस 70सी है। पहली बार हुई इस खोज को वैज्ञानिक रोचक मान रहे हैं।
दो ग्रहों का एक कक्षा में होने का जिक्र किस्से कहानियों में मिलता था। जिससे इनके प्रभावों का भी जिक्र होता आया है। इस विचार से वैज्ञानिक भी अछूते नही थे। मगर अब यह सत्य सामने आ चुका है , तो इनसे दूसरे पिंडों में पड़ने वाले असर के अलावा अनेक जानकारी मिल सकेंगी। इन ग्रहों की खोज का श्रेय मैड्रिड, स्पेन के सेंटर फॉर एस्ट्रोबायोलॉजी के वैज्ञानिको को जाता है। खोज का नेतृत्व कर रहे वैज्ञानिक ओल्गा बाल्सालोब्रे-रूज़ा के मन में दो दशक पहले यह विचार आया था और उन्होंने इसकी सैद्धांतिक भविष्यवाणी की गई थी । जिसमें कहा गया था कि समान द्रव्यमान वाले ग्रहों के जोड़े अपने तारे सह-कक्षीय ग्रहों के चारों ओर समान कक्षा साझा कर सकते हैं। जिसे प्रमाणित करने में दो दशक गुजर गए और अब जाकर इसके साक्ष्य मिले हैं।19 जुलाई, 2023 को जर्नल एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स में इस खोज को प्रकाशित किया गया है।यूरोप के दक्षिणी वेधशाला की चिली में स्थित एएलएमए टेलीस्कोप के जरिये यह खोज हुई। जुड़वा ग्रहों की जारी तस्वीरों में बड़ी सुनहरी अंगूठी के समान डिस्क यानी वलय है। वलय के केंद्र में तारा पीडीएस 70 मौजूद है और दोनों ओर ग्रह मौजूद हैं, जो एक निश्चित दूरी पर, लेकिन एक कक्षा में तारे की परिक्रमा कर रहे हैं।
रोचक होगा इन ग्रहों का आगे का सफर
खोजकर्ता वैज्ञानिक बाल्सालोब्रे-रूज़ा का कहना है कि यह खोज जितनी रोचक है, इनके आगे का अध्ययन भी उतना ही रोचक होगा। देखना होगा कि यह दोनों ग्रह एक ही कक्षा में रहते हैं या फिर बदल लेते हैं। साथ ही अपने नजदीकी लघु ग्रहों को किस तरह से प्रभावित कर पाते हैं। जिस कारण वैज्ञानिकों की रूचि इन दोनों ग्रहों के प्रति बनी रहेगी। बहरहाल यह खोज सह-कक्षीय ग्रहों को उनके गठन के आरंभ में खोजने की दिशा में पहला कदम है।
स्रोत व फोटो : अर्थ स्काई।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
और अधिक जानें