नासा की नई खोज: मंगल पर मिले कार्बनिक अणु

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मंगल पर कार्बनिक अणुओं की महत्वपूर्ण खोज
पृथ्वी की जमीन से करोड़ों किमी दूर लाल ग्रह मंगल की खाक भी छान सकते हैं, आम इंसान को यह असंभव लग सकता है, लेकिन विज्ञान ने इसे संभव कर दिखाया है। इसका ताजा उदाहरण नासा का पर्सवेरेंस रोवर है। जिसने हाल ही में मंगल की धरती पर इस ग्रह के अतीत में जीवन के मूलभूत तत्वों को खोज निकाला है। जिनमें कार्बनिक अणु शामिल है। कार्बनिक अणुओं से पता चलता है कि मंगल के प्राचीनकाल में जीवन भी मौजूद रहा होगा। बहरहाल यह एक बड़ी उपलब्धि है। नासा के क्यूरियोसिटी के बाद पर्सवेरेंस मंगल की सतह के ऊपर व भूगर्भीय खोज करने में इतना सफल हो सकेगा, यह एक प्रश्नचिन्ह लगा हुआ था। यह संशय अब छट चुका है तो साफ लगता है कि वैज्ञानिकों की दिशा सही है और मंगल पर  मानव बस्ती बसाने को सपना सजोए हुए हैं, वह जरूर साकार होगा। 
जानिए किस तरह से हुई यह खोज 
नासा का पर्सवेरेंस रोवर मंगल के जेजेरो क्रेटर में “स्किनर रिज” नामक एक चट्टानी आउटक्रॉप के समीप अपना काम कर रहा है। भुजाओं के रूप में मौजूद इसके उपकरणों ने एक  डेल्टा में एक  चट्टान की तलहटी में स्थित गोलाकार पैच को तोड़कर, उसके अंदर की जांच करता है। इससे पता चलता है कि कभी इस क्षेत्र में पानी रहा होगा।
प्राचीनकाल में माइक्रोबियल जीवन रहा होगा
 पर्सवेरेंस रोवर अपने दूसरे विज्ञान अभियान के तहत  वैज्ञानिकों की उस सोच को सही साबित करने का काम कर रहा है, जो बताता है कि मंगल पर प्राचीनकाल के माइक्रोबियल जीवन होगा। जिसके तहत रोबर  ने लाल ग्रह के जेज़ेरो क्रेटर से प्राचीन नदी डेल्टा से चार नमूने एकत्र किए हैं। 
जेजेरो  45 किलोमीटर चौड़ा है यह यह गड्ढा 
जेजेरो  45 किलोमीटर चौड़ा है। नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार यह एक डेल्टा क्षेत्र है, जो 
 लगभग 3.5 अरब साल पहले एक मार्टियन नदी और एक झील के अभिसरण पर बनी थी और यह रोबर वर्तमान में डेल्टा की तलछटी चट्टानों की जांच में जुटा हुआ है। प्राचीनकाल में  विभिन्न आकारों के कण पानी वाले वातावरण में बस गए थे। रोवर को क्रेटर के तल की खोज में आग्नेय चट्टान मिला। जो दर्शाता है कि सतह पर मैग्मा  या  ज्वालामुखी गतिविधि के दौरान गहरे भूमिगत रूप में बनता है। विज्ञानी कहते हैं कि हमें एक बलुआ पत्थर भी मिला है जिसमें जेज़ेरो क्रेटर से दूर बनाए गए ऑर्गेनिक और चट्टान के टुकड़े हैं । खास बात यह है कि  एक मिट्टी के पत्थर में  कार्बनिक यौगिक शामिल हैं। 
मंगल की वाइल्डकैट रिज 
 लगभग 3 फीट चौड़ी इस रिज  संभवतः अरबों साल पहले एक वाष्पित खारे पानी की झील में मिट्टी और महीन रेत के रूप में बनी थी। 20 जुलाई को, रोवर ने वाइल्डकैट रिज की कुछ सतह को नष्ट कर दिया, ताकि वह ऑर्गेनिक्स और केमिकल्स के लिए रमन एंड ल्यूमिनेसेंस के साथ स्कैनिंग हैबिटेबल एनवायरनमेंट, या शरलॉक नामक उपकरण के साथ क्षेत्र का विश्लेषण कर सके।
कार्बनिक पदार्थों की जानकारी 
कार्बनिक अणुओं में मुख्य रूप से कार्बन से बने यौगिकों की एक विस्तृत विविधता होती है और इसमें आमतौर पर हाइड्रोजन और ऑक्सीजन परमाणु शामिल होते हैं। उनमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और सल्फर जैसे अन्य तत्व भी हो सकते हैं। यह ऐसी रासायनिक प्रक्रियाएं हैं जो इन अणुओं का उत्पादन करती हैं जिन्हें जीवन की आवश्यकता नहीं होती है।  इनमें से कुछ यौगिक जीवन के रासायनिक निर्माण के अंग हैं। इन विशिष्ट अणुओं की उपस्थिति को एक संभावित बायोसिग्नेचर माना जाता है । जैसे कि एक पदार्थ या संरचना जो पिछले जीवन का प्रमाण हो सकता है । मगर यह भी है कि वह जीवन की उपस्थिति के बिना भी उत्पन्न हो सकता है।
अतीत में  रेत, मिट्टी और लवण मौजूद रहे होंगे मंगल पर 
वाइल्डकैट रिज के अतीत में  रेत, मिट्टी और लवण मौजूद रहे होंगे। लिहाजा वहा इन  परिस्थितियों में  जीवन संभावित रूप से पनप सकता था।  रिज की  तलछटी चट्टान में कार्बनिक पदार्थ पाए जाने का अंदाजा इस तरह से लगाया जा सकता है कि  जिसे पृथ्वी पर प्राचीन जीवन के जीवाश्मों को संरक्षित करने के लिए जाना जाता  है। 
क्या कहते हैं वैज्ञानिक मंगल से मिले नमूनों को लेकर 
नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के निदेशक लॉरी लेशिन का कहना है कि  अपने करियर के अधिकांश समय के लिए मंगल ग्रह की रहने की क्षमता और भूविज्ञान का अध्ययन किया है और मंगल की चट्टानों के सावधानीपूर्वक एकत्र किए गए सेट को पृथ्वी पर वापस करने के अविश्वसनीय वैज्ञानिक मूल्य को पहली बार देखा है।  वैज्ञानिक इन नमूनों का  उत्कृष्ट विस्तार से अध्ययन कर सकते हैं। वास्तव में यह अभूतपूर्व है। इससे भविष्य में हम बहुत कुछ सीख सकेंगे।
मंगल की अतीत की जलवायु समेत भूविज्ञान को लेकर महत्वपूर्ण है यह योजना
मंगल ग्रह पर  मिशन का प्रमुख उद्देश्य एस्ट्रोबायोलॉजी है।  जिसमें कैशिंग नमूने शामिल हैं । जिसके तहत  प्राचीन काल में माइक्रोबियल जीवन के संकेत हो सकते हैं। रोवर ग्रह के भूविज्ञान और अतीत की जलवायु को चिह्नित करेगा। भविष्य में लाल ग्रह के मानव का दूसरे घर का मार्ग प्रशस्त करेगा।  साथ ही रेजोलिथ को इकट्ठा करने वाला पहला मिशन होगा।
नासा के साथ ईएसए की भावी योजनाएं
नासा की ई एस ए के साथ कई साझा योजनाएं हैं। जिसके तहत दोनो एजेंसियां मून व मंगल पर एक साथ काम कर रही हैं। सर्वप्रथम चंद्रमा पर अंतरिक्ष स्टेशन बनाया जाएगा। वहा से मंगल पर आगे के मिशन संचालित किए जाएंगे। क्योंकि उद्देश्य मंगल पर मानव को बसाना है। इसके लिए लंबा समय लगेगा। शायद दशकों लगें या फिर सदियां बीत जाएं। मगर सही बात तो यह है कि यह दूरगामी सपना है। जिसे साकार करने के लिए अभी से जुटना बेहद जरूरी है। 
श्रोत: NASA/JPL-कैल्टेक/ASU/MSS, Jezero Crater’s 

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