नासा का न्यू होराइजन्स अंतरिक्ष यान खोलेगा
युरेनस व नेपच्युन के रहस्य
सौर परिवार के दूर छोर पर स्थित युरेनस व नेपच्युन के रहस्य अब उजागर हो सकेंगे। नासा का न्यू होराइजन्स अंतरिक्ष यान सितंबर से इन दोनो ग्रहों पर नगर रखने पहुच रहा है । नासा के इस मिशन का मकसद दोनों ग्रहों के डीप वातावरण का पता लगाना है।
सौरमंडल के युरेनस व नेपच्युन दो ऐसे ग्रह हैं, जिनकी बहुत जानकारी अभी तक नही मिल पाई है। इन ग्रहों की तुलना अन्य नजदीकी ग्रहों से करें तो उन पर कई अभियान चलाए जा चुके हैं और अनेक महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की जा सकी है। खास बात यह है कि यह दोनों बर्फ के विशाल ग्रह हैं । लिहाजा इनके वातावरण की जानकारी जुटाना बेहद जरूरी है, तभी वैज्ञानिक इन जैसे बाहरी ग्रहों का सही अध्ययन कर पाएंगे। न्यू होराइजन्स अंतरीक्ष यान प्लूटो की जांच पड़ताल करने के बाद अब यूरेनस और नेपच्यून के करीब पहुँचने जा रहा है, जो सितंबर से पृथ्वी से 5 अरब मील से भी अधिक दूर इन दोनों ग्रहों की ऐसी जगह से जांच पड़ताल करेगा, जहां से आसानी से इन्हें देखा जा सके। इस यान में मल्टीस्पेक्ट्रल विज़िबल इमेजिंग कैमरा (एमवीआईसी) लगा हुआ है, जो विभिन्न कोणों से दोनों ग्रहों की व्यापक कवरेज कर सकेगा। इस खोज मे नासा ने दुनिया भर के शौकिया खगोलविदों को भी शामिल किया है। 1986 व 1989 में वोयाजर 2 अंतरीक्ष द्वारा इनका अध्ययन किया गया था और तब सीमित जानकारियां मिल पाई थी।
की दुनिया में वायुमंडल से ऊर्जा अवशोषित व उत्सर्जित करना सबसे बड़ा रहस्य है। साथ ही ग्रहों के संभवतः चट्टानी कोर से उनके बाहरी वायुमंडल की ओर थर्मल ऊर्जा कैसे पहुंचती है। यूरेनस विशेष रूप से इस संबंध में ज्यादा रहस्यमय है । वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है कि इनके आंतरिक भाग से अंतरिक्ष में शायद ही कोई ऊष्मा प्रवाहित होती है। नेप्च्यून की बात करें तो वह पहली नज़र में एक समान ग्रह होने के बावजूद यूरेनस की तुलना में अंतरिक्ष में ढाई गुना अधिक ऊर्जा उत्सर्जित करता है। जिसकी जानकारी न्यू होराइजन्स से मिल पाएगी। इस अध्ययन में हबल स्पेस टेलीस्कोप की मदद भी ली जाएगी। सैकड़ों शौकिया खगोलविद इस मिशन मे शामिल होंगे। उम्मीद है कि इस बार इन दोनों ग्रहों की व्यापक जानकारी जुटाई जा सकेगी।
श्रोत व फोटो: नासा। संपादित।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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