नासा का यूरोपा क्लिपर उजागर करेगा बृहस्पति के चंद्रमा के रहस्य
बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा पर जीवन की संभावनाओं को लेकर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अंतरिक्ष यान यूरोपा क्लिपर लॉन्च करने जा रहा है। 2.6 बिलियन किलोमीटर दूर यह उपग्रह बर्फ से ढका हुआ है। बर्फ के नीचे गहरे समुंद्र छिपे हुए हैं। जिसमें जीवन मौजूद होने की संभावना जताई जा रही है। भले ही यूरोपा हमसे काफी दूर हो, लेकिन इस उपग्रह पर जीवन हुआ तो अंतरिक्ष के अन्य ग्रहों पर भी जीवन की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।
अगले साल किया जाएगा लॉन्च
नासा का यह मिशन अभी तक का सबसे बड़ा मिशन माना जा रहा है। जिसे अगले साल 2024 में लॉन्च किया जाएगा। इस अंतरिक्ष यान को यूरोपा तक पहुंचने में छः साल का समय लगेगा, जो बृहस्पति के दूसरे चंद्रमाओं की टोह भी लेगा। साथ ही बृहस्पति के तूफानों को भी देखेगा। इसका सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य यूरोपा की बर्फीली परतों का रहस्य उजागर करेगा।
नासा का अब तक का सबसे बड़ा अंतरग्रहीय मिशन
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने यूरोपा क्लिपर अंतरिक्ष यान को अब तक का सबसे बड़ा अंतरग्रहीय मिशन बताया है। इस यान के उपकरणों का निर्माण व टेस्टिंग कार्य इन दिनों प्रगति पर है। बृहस्पति का चंद्रमा यूरोपा रहस्यमय चाँद है। जिसमें जीवन की सम्भावना की आस लिए नासा लगभग एक दशक से भी अधिक समय से इस मिशन पर कार्य कर रहा है। नासा के वैज्ञानिकों का मानना है कि इस चंद्रमा के बर्फीली परतों के पीछे अनोखा संसार छिपा हो सकता है।
कई सवालों का जवाब देगा यह यूरोपा क्लीपर
अंतरिक्ष यान यूरोपा क्लिपर का उद्देश्य समुद्र के बारे में उन सवालों के जवाब तलाशना है, जो अभी तक अनुत्तरित हैं। यह अंतरिक्ष यान बृहस्पति की परिक्रमा करते हुए यूरोपा के ऊपर 50 से अधिक उड़ान भरेगा। नासा का कहना है कि यह यान सिर्फ यूरोपा की परिक्रमा नही कर सकता। क्योंकि इसमें यान को खतरा हो सकता है। यूरोपा क्लिपर की प्रगति को लेकर नासा ने एक वीडियो जारी किया है। जिसमें इस यान की तैयारी को लेकर तैयार किए जा रहे उपकरण, टेस्टिंग व मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों को दिखाया गया है।
प्रो आर सी कपूर
भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बंगलुरु के रिटायर्ड खगोलविद प्रो आर सी कपूर कहते हैं कि नासा के यूरोपा क्लिपर मिशन पर दुनिया के वैज्ञानिकों की नजरे हैं। यूरोपा के बर्फ की परतों के बारे में हम सभी जानते हैं, लेकिन उसके अंदर छिपे संसार से अनभिज्ञ हैं। संभव है कि वहां किसी रूप में अलग प्रकार जीवन हो। जिसका सही पता यूरोपा क्लिपर ही बता पाएगा।
श्रोत: नासा।
फोटो: नासा।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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