आज नासा का स्पेसक्राफ्ट जूनो बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा के करीब होगा

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29 सितंबर को बृहस्पति के बर्फीले चंद्रमा यूरोपा के रहस्य खोलेगा नासा का स्पेसक्राफ्ट जूनोनासा का अंतरिक्ष यान जूनो का आज का दिन खास  रहने वाला है। आज वह हमसे लगभग 591 मिलियन किमी दूर बृहस्पति के  चंद्रमा यूरोपा के ठीक ऊपर पहुंचने जा रहा है। यूरोपा बृहस्पति का बर्फीला उपग्रह है। जूनो इस ग्रह की सतह की जांच पड़ताल करेगा।  बर्फीली परत की बनावट की जानकारी  देगा। तापमान बताएगा।  इस उपग्रह में पिछले बीस सालों के अंतराल में आए बदलाव की जानकारी पहुचाएगा। जूनो पहले भी इस उपग्रह के करीब पहुंचकर अनेक रहस्य हम तक तक पहुंचा चुका है।

इस बार महत्त्वपूर्ण आंकड़े जुटाएगा जूनो 

सोलर सिस्टम के ग्रहों में नासा यूरोपा में खास दिलचस्पी रखता है। इस उपग्रह में जीवन की संभावना अधिक है। यूरोपा एक जोवियन चंद्रमा है, जिसे वैज्ञानिक अजीबो गरीब तरह का मानते हैं। जिस कारण नासा इस उपग्रह की हर तरह की जानकारी चाहता है। लिहाजा इस बर्फ से ढके इस पिंड पर भविष्य में भी मिशन चलाने की योजना बना चुका है। इधर आज यानी गुरुवार को जूनो पुनः इसके ऊपर से उड़ेगा और कई महत्वपूर्ण डेटा जुटाएगा।  प्राप्त आंकड़ें नासा भावी योजनाओं को मूर्त रूप देने में मददगार होंगे। नासा के वैज्ञानिक मानते हैं की जूनो की खोज भविष्य की खोजों के लिए बेहद मददगार साबित होगी। दरसल यूरोपा एक बर्फीला ग्रह है और बर्फ की इस दुनिया की कई समानताएं हमारी धरती के समान हो सकती है। जूनो आज 29 सितंबर 2022 को EDT 2.36 बजे करीब होगा यूरोपा के 

  जूनो  29 सितंबर, 2022 को EDT 2:36 बजे  चंद्रमा यूरोपा के निकट पहुंचेगा। वह इस चांद के 538 किमी के दायरे के भीतर तक पहुंचेगा और तस्वीरें बनाएगा। इस मिशन से वैज्ञानिक यूरोपा  के आंतरिक भाग की कई जानकारियां प्राप्त कर सकेंगे।  सतह की संरचना की सटीक जानकारी मिल सकेगी। साथ ही इसके आयनमंडल का डेटा भी प्राप्त हो सकेगा। इसके अलावा बृहस्पति के मैग्नेटोस्फीयर के साथ यूरोपा की बातचीत को रिकॉर्ड किया जा सकेगा। 

 जूनो के बाद यूरोपा का अगला मिशन क्लिपर लॉन्च करेगा

ग्रहों की दुनिया की खोज खबर में नासा ने कई मिशन तैयार किए हुए हैं। खासकर यूरोपा के लिए अगला मिशन क्लिपर को लॉन्च करेगा। व्लिपर मिशन 2024 में लॉन्च किया जाएगा। इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए तैयारियां चल रही हैं। 

जूनो 2021 में भी पहुंचा था यूरोपा के करीब 

 

जूनो अंतरिक्ष यान पहले भी यूरोपा की सैर कर चुका है। पिछली बार वह 16 अक्टूबर 2021 को यूरोपा के करीब पहुंचा था। तब उसने लगभग 82,000 किमी  की दूरी से ली यूरोपा के चित्र लिए थे, जबकि इस बार  29 सितंबर, 2022 को  जूनो व उपग्रह यूरोपा के बीच दूरी मात्र  538 किमी  रह जाएगी। बहरहाल जूनो अभी यूरोपा से 83397 किमी की दूरी पर है। 

 

जीवन की संभावना बन सकती है यूरोपा में 

यूरोपा बृहस्पति के चार सबसे बड़े चंद्रमाओं में शामिल है।  यह चंद्रमा गैलीलियन हैं और  बृहस्पति नजदीकी वाला दूसरा ग्रह है। अभी तक जानकारी के अनुसार  यूरोपा का व्यास 3,100 किमी है। यह लगभग हमारे चंद्रमा के बराबर ही है।  वैज्ञानिकों का मानना ​​​​है कि यूरोपा की सतह बर्फीली है साथ ही पानी की भी है। जिसमें कीचड़ है और उसके नीचे  महासागर  है। जिस कारण वैज्ञानिक इस चंद्रमा पर जीवन की संभावना जताते हैं। 

आगले तीन साल तक मिशन से जुड़ा रहेगा जूनो 

 नासा का जूनो मिशन अभी और तीन साल काम करेगा, जो सितंबर 2025 तक अपने मिशन को पूरा करेगा। नासा के अनुसार इसकी 42 कक्षा बनाई गई हैं। इस ग्रह पर वैज्ञानिक बेहद दिलचस्पी रखते हैं। जिसके चलते नासा के वैज्ञानिक अंतरिक्ष दूरबीन हबल से भी इस उपग्रह का अध्ययन कर चुके हैं। 

 

 

2011 में भेजा गया था जूनो को

अंतरिक्ष अनुसन्धान परिषद् नासा ने बृहस्पति व उसके उपग्रहों के अध्ययन  के लिए पृथ्वी से 5 अगस्त 2011 में जूनो अंतरिक्ष शोध यान को लॉन्च किया गया था। लगभग 5 वर्ष लंबी यात्रा के बाद 5 जुलाई 2016 में  बृहस्पति पर पहुंचा था।  इस अभियान पर लगभग 1.1 अरब डॉलर  खर्च हुआ है।  पृथ्वी से बृहस्पति पर पहुँचने में लगभग 5 साल का लंबा सफर तय करना पड़ा। 

श्रोत: Earthsky

फोटो : NASA


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