इस बार महत्त्वपूर्ण आंकड़े जुटाएगा जूनो
जूनो 29 सितंबर, 2022 को EDT 2:36 बजे चंद्रमा यूरोपा के निकट पहुंचेगा। वह इस चांद के 538 किमी के दायरे के भीतर तक पहुंचेगा और तस्वीरें बनाएगा। इस मिशन से वैज्ञानिक यूरोपा के आंतरिक भाग की कई जानकारियां प्राप्त कर सकेंगे। सतह की संरचना की सटीक जानकारी मिल सकेगी। साथ ही इसके आयनमंडल का डेटा भी प्राप्त हो सकेगा। इसके अलावा बृहस्पति के मैग्नेटोस्फीयर के साथ यूरोपा की बातचीत को रिकॉर्ड किया जा सकेगा।
जूनो के बाद यूरोपा का अगला मिशन क्लिपर लॉन्च करेगा
ग्रहों की दुनिया की खोज खबर में नासा ने कई मिशन तैयार किए हुए हैं। खासकर यूरोपा के लिए अगला मिशन क्लिपर को लॉन्च करेगा। व्लिपर मिशन 2024 में लॉन्च किया जाएगा। इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए तैयारियां चल रही हैं।
जूनो 2021 में भी पहुंचा था यूरोपा के करीब
जूनो अंतरिक्ष यान पहले भी यूरोपा की सैर कर चुका है। पिछली बार वह 16 अक्टूबर 2021 को यूरोपा के करीब पहुंचा था। तब उसने लगभग 82,000 किमी की दूरी से ली यूरोपा के चित्र लिए थे, जबकि इस बार 29 सितंबर, 2022 को जूनो व उपग्रह यूरोपा के बीच दूरी मात्र 538 किमी रह जाएगी। बहरहाल जूनो अभी यूरोपा से 83397 किमी की दूरी पर है।
जीवन की संभावना बन सकती है यूरोपा में
यूरोपा बृहस्पति के चार सबसे बड़े चंद्रमाओं में शामिल है। यह चंद्रमा गैलीलियन हैं और बृहस्पति नजदीकी वाला दूसरा ग्रह है। अभी तक जानकारी के अनुसार यूरोपा का व्यास 3,100 किमी है। यह लगभग हमारे चंद्रमा के बराबर ही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यूरोपा की सतह बर्फीली है साथ ही पानी की भी है। जिसमें कीचड़ है और उसके नीचे महासागर है। जिस कारण वैज्ञानिक इस चंद्रमा पर जीवन की संभावना जताते हैं।
आगले तीन साल तक मिशन से जुड़ा रहेगा जूनो
नासा का जूनो मिशन अभी और तीन साल काम करेगा, जो सितंबर 2025 तक अपने मिशन को पूरा करेगा। नासा के अनुसार इसकी 42 कक्षा बनाई गई हैं। इस ग्रह पर वैज्ञानिक बेहद दिलचस्पी रखते हैं। जिसके चलते नासा के वैज्ञानिक अंतरिक्ष दूरबीन हबल से भी इस उपग्रह का अध्ययन कर चुके हैं।
2011 में भेजा गया था जूनो को
अंतरिक्ष अनुसन्धान परिषद् नासा ने बृहस्पति व उसके उपग्रहों के अध्ययन के लिए पृथ्वी से 5 अगस्त 2011 में जूनो अंतरिक्ष शोध यान को लॉन्च किया गया था। लगभग 5 वर्ष लंबी यात्रा के बाद 5 जुलाई 2016 में बृहस्पति पर पहुंचा था। इस अभियान पर लगभग 1.1 अरब डॉलर खर्च हुआ है। पृथ्वी से बृहस्पति पर पहुँचने में लगभग 5 साल का लंबा सफर तय करना पड़ा।
श्रोत: Earthsky
फोटो : NASA
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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