नासा की बड़ी चिंता का कारण बना अंतरिक्ष का कचड़ा

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अंतरिक्ष में जमा कचड़े को खोजने में जुटे वैज्ञानिक 

धरती की तरह अंतरिक्ष में दिनपर दिन जमा होता कचड़ा बड़ी समस्या बनते जा रहा है। कचड़े के हजारों टुकड़े आसमान में तैर रहे हैं। यह कचड़ा मृत सैटलाइट और रॉकेट का है, जो भविष्य के लिए बड़ा खतरा बनते जा रहा है। दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां कचड़े के ढेर को लेकर बेहद चिंतित हैं। मगर अब इस कचरे को खोजने का बीड़ा खगोल वैज्ञानियों ने उठाया है। दरसल अंतरिक्ष में भेजे गए सैटेलाइट के कार्य क्षमता की निश्चित समय होती है। इनका काम खत्म होते ही उनकी निगरानी नही की जाती और वह आसमान के अनजान राहों में गुम हो जाते हैं। अब तक लगभग 50 हजार से अधिक छोटे बड़े कचरे के ढेर अंतरिक्ष की अंधेरी गलियों में घूम रहे हैं। अब कौनसा टुकड़ा कहां घूम रहा है। इसका कोई अता पता नहीं रहता है और यही कचड़ा कब किस जीवित सैटेलाइट से टकरा जाय और बढ़ा नुकसान पहुंचा जाए, इसका डर वैज्ञानिकों को पिछले कुछ सालों से सताने लगा है। वैज्ञानिक कहते हैं कि आने वाले वाले समय में यह कचड़ा बढ़ा मुद्दा बनने वाला है। समय रहते इनकी पहचान व सफाया नही किया गया तो भविष्य में हमारी सड़कों में होने वाली दुर्घटनाओं की तरह अंतरिक्ष भी इस समस्या से जूझने लगेगा।

नासा को सता रही है बढ़ी चिंता

वैज्ञानिक और सरकारी एजेंसियां ​​दशकों से पृथ्वी के आस-पास के अंतरिक्ष कबाड़ को लेकर चिंतित हैं, लेकिन मानवता की तारों वाली अति महत्वाकांक्षाएं पृथ्वी के चारों ओर अंतरिक्ष की तुलना में कहीं अधिक दूर तक पहुंच रही हैं। 1960 के दशक के बाद से अपोलो कार्यक्रम के शुभारंभ और अमेरिका और सोवियत संघ के बीच अंतरिक्ष की दौड़ के उद्भव के साथ, लोग चंद्रमा के आसपास भी कचरा छोड़ रहे हैं। चंद्रमा की परिक्रमा करने वाली मानव निर्मित वस्तुओं के बारे में जानकारी की कमी चंद्र मिशनों के लिए कई जोखिम पैदा करती है।

अगले दशक में सौ से अधिक मिशन लॉन्च किए जाएंगे चंद्रमा पर 

सबसे पहले टक्कर का खतरा है। मानवता चंद्र अन्वेषण की एक नई लहर की शुरुआत में है। अगले 10 वर्षों में, छह देशों और कई वाणिज्यिक कंपनियों की 100 से अधिक मिशनों की योजना है। हर मिशन के साथ, मौजूदा मलबे के साथ टकराव का खतरा बढ़ जाता है और साथ ही, मलबे की कुल मात्रा भी बढ़ जाती है क्योंकि मिशन कबाड़ को पीछे छोड़ देता है।

कचड़ा ट्रेस करने के लिए बनाई दूरबीन

एरिज़ोना विश्वविद्यालय में छात्रों और प्रोफेसरों की एक टीम ने चंद्रमा के पास वस्तुओं को ट्रैक करने के लिए एक दूरबीन का निर्माण किया। पिछले दो वर्षों से सिस्लुनर अंतरिक्ष में वस्तुओं को खोजने और पहचानने में बेहतर हो चुके हैं। जबकि पहले स्कूल बस के आकार के चांग’ई 5 अंतरिक्ष यान की पहचान कर पाए थे और अब क्यूबसैट को एक अनाज के डिब्बे से बड़े – जैसे नासा के लूनर फ्लैशलाइट को ट्रैक करने में सक्षम हैं।

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श्रोत: एस्ट्रोनॉमी मैगजीन।

फोटो: नासा।


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