लाल ग्रह को नीला बनाने में जुटा नासा

Share It!

लाल ग्रह को नीला बनाने में जुटा नासा
कभी पृथ्वी भी लाल थी और बेहद गर्म भी। मगर किसी बड़े धूमकेतु ने पृथ्वी पर धमाका कर दिया और गर्म पृथ्वी को सागर में बदलकर ठंडा कर दिया। यहीं से पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति का सिलसिला शुरू हो गया। लाखों करोड़ साल बीत गए, तब कहीं जाकर मानव अस्तित्व में आया और अब यही मानव मंगल की लाल धरती के रंग को पृथ्वी की तरह नीले रंग में तब्दील करने का संकल्प कर चुका है और शुरुवाती चरण के परिणाम शोध के रूप में ही सही, मगर सामने आने लगे हैं। वैज्ञानिकों ने अब दावा किया है कि साढ़े तीन अरब साल पहले मंगल की धरती पर हजारों वर्ग किलोमीटर में फैला विशाल समंदर था। जिसके पुख्ता सबूत उन्हे मिल गए हैं। मंगल के उत्तरी गोलार्ध में यह सागर मौजूद था।
मंगल ग्रह पर फतह के करीब पहुंचा मानव 
मंगल ग्रह को लेकर हर वैज्ञानिक बेताब नजर आता है। क्योंकि मंगल पर मानव का दूसरा घर बसाने का मतलब है कि यह समूचे पृथ्वी वासियों की सबसे बड़ी जीत होगी। जीत को लेकर इस जंग का श्रीगणेश सात दशक पहले हुआ और तबसे अभी तक दर्जनों मिशन मंगल पर रोबर, अंतरिक्ष यान व ऑर्बिटर के रूप में चलाए जा चुके हैं। जिसका नतीजा है कि हम मंगल फतेह करने से ज्यादा दूर नही हैं। बहरहाल पूरा खाका लगभग तैयार हो चुका है और दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां ही नहीं बल्कि निजी स्पेस एजेंसियां भी मंगल की जंग जीतने में लगा हुआ है।
कई चुनौतियों से जूझना अभी बाकी है
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वैज्ञानिक डा शशिभूषण पांडेय कहते हैं कि मंगल की धरती को अपना बनाने का काम आसान नहीं है तो नामुमकिन भी नही है। जिस लगन से वैज्ञानिक मंगल पर कार्य कर रहे हैं , वह वास्तव में सराहनीय है। वह कहते हैं मंगल पर चुनौतियां एवरेस्ट की ऊंचाई पर चढ़ाई चढ़ने से भी बड़ी हैं। कैसे मंगल पर हवा चलेगीऔर कहां से पानी आयेगा। फिर सूर्य के पैराबैगनी किरणों से सुरक्षा का इंतजाम करना भी आसान नहीं होगा। इतना ही नहीं भोजन की व्यवस्था कर पाना भी बड़ी चुनौती होगी। इसके अलावा भी मंगल की लंबी यात्रा समेत अनेक चुनौतियां हैं, जिनसे जूझना होगा। जिनसे पार पाने को हम तैयार हैं।
गायब हो गया मंगल का पानी और बहती नदियां
अब तक मिले तमाम सबूत बताते हैं कि मंगल पर पानी अकूत था। पृथ्वी के समान समंदर थे और नदियां मंगल को जीवन देती प्रतीत होती हैं, लेकिन वह पानी कन्हा गायब हो गया। बस उसी जल की खोज करनी है और उसे वापस लाकर मंगल पर एक सुनहरा संसार बसाना है। पर यह होगा कैसे। यह विचार सिर खुजलाने को मजबूर कर देता है और यहीं से वैज्ञानिक मंगल को नीले सागर में बदलने के लिए सोचना शुरू कर देते हैं।
लाल ग्रह के 6.5 हजार किमी में क्षेत्र में मिले पानी के ठोस सबूत 
 स्टेट और कैलटेक के शोधकर्ताओं के शोध में लाल ग्रह के  उत्तरी गोलार्ध में प्राचीन तटीय क्षेत्र में पानी के निशान खोजे हैं। उन्होंने नासा से प्राप्त डेटा के जरिए इस नतीजे तक पहुंच पाए और जल वाले स्थान का मानचित्र भी उकेरा है।  जिससे अनुमान लगाया कि प्राचीन मार्टियन तटरेखा लगभग 3.5 अरब वर्ष पुरानी है और सैकड़ों-हजारों वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। पिछले महीने के अंत में शोधकर्ताओं ने इसका खुलासा किया। शोधकर्ताओं ने  दो नए पत्रों में इसकी जानकारी दी, जो हो चुके हैं। जिनमें  पहला जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च: प्लैनेट्स  और दूसरा  दूसरा नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित हुआ है। 6,500 किलोमीटर से अधिक प्राचीन नदी के तटीय क्षेत्र की पहचान की है। वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल पर कभी पृथ्वी की तरह अकूत पानी होने के सबूत खोजे हैं, जो अभी तक के सबसे ठोस सबूत हैं।
https://space23lyear.com/
नासा / गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के माध्यम से छवि।
स्रोत: प्राचीन तलछटी बेसिन फिल से उकेरी गई फ़्लूवियल लकीरों के मंगल ग्रह के परिदृश्य
(पेन स्टेट के जरिए )

Share It!