नासा ने कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन करने वाले देशों का मानचित्र तैयार किया
हद से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन पर्यारण के लिए अभिशाप है। मगर इसका इसका उत्पादन थमने का नाम नहीं ले रहा है। हिमालय भी ब्लैक कार्बन की चपेट से अछूता नहीं और विकसित देश भी धुएं के इस गुबार में घुटने के लिए मजबूर हैं। इसका सबसे बुरा असर वैश्विक ताप पर पढ़ रहा है, जो शनैः शैनेः पैर पसार रहा है और जलवायु परिवर्तन का बढ़ा कारण बन रहा है। इस गंभीर समस्या को लेकर
नासा अंतरिक्ष मिशन ने दुनिया के सौ देशों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का जायजा लिया है और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन करने वाले देशों की स्थिति को मानचित्र के जरिए उजागर किया है।
2015 से 2020 के बीच कार्बन डाइऑक्साइड की स्थिति
यह नक्शा नासा के OCO-2 उपग्रह द्वारा 2015 से 2020 तक कार्बन डाइऑक्साइड के शुद्ध उत्सर्जन और निष्कासन को दर्शाता है। जिन देशों में उत्सर्जन की तुलना में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को हटाया गया था, वे हरे रंग के अवसाद के रूप में दिखाई देते हैं, जबकि उच्च उत्सर्जन वाले देशों को लाल रंग से दर्शाया गया हैं। 2015 में पेरिस समझौते में ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने की दिशा में दुनिया का साझा सामूहिक प्रयास था।
100 देशों का लिया गया जायजा
पृथ्वी की निगरानी करने वाले नासा के उपग्रह की मदद से शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के 100 से अधिक देशों के कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को ट्रैक किया। यह एक पायलट प्रोजेक्ट है, विभिन्न देशों में उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड पर नजर रखता है। 60 से अधिक वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन में नासा के ऑर्बिटिंग कार्बन ऑब्जर्वेटरी-2 (ओसीओ-2) मिशन का सहारा लिया। जिसमें मापों के साथ-साथ सतह-आधारित अवलोकनों के एक नेटवर्क का उपयोग किया गया था। जिससे वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड में वृद्धि और कमी की मात्रा निर्धारित की जा सके। 2015 से 2020 के बीच के आंकड़े लिए गए।
चीन और अमेरिका सबसे अधिक उत्सर्जन करने वाले देश
2015 से 2020 तक 100 से अधिक देशों द्वारा वार्षिक जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन की जानकारी ली गई । जिसमें हैरान करने वाले नतीजे देखने को मिले हैं। कम उत्सर्जन वाले देशों की तुलना में अमेरिका और चीन जैसे विकसित देश इस काले धुएं का जमकर उत्सर्जन कर रहे हैं। मानचित्र में इन दोनों देशों को गहरे लाल रंग दर्शाया गया है। जिससे पता चलता है कि यह दोनों देश उच्च उत्सर्जन वाले देशों की सूची में सबसे ऊपर हैं।
नासा ग्लोबल वार्मिंग से सचेत कर रहा दुनिया को
वाशिंगटन स्थित नासा मुख्यालय में अर्थ साइंस डिवीजन के निदेशक करेन सेंट जर्मेन ने कहा कि “नासा पृथ्वी विज्ञान डेटा देने पर केंद्रित है जो वास्तविक विश्व जलवायु चुनौतियों पर पार पाने के लिए काम कर रहा है । हम दुनिया भर की सरकारों अथवा देशों द्वारा कार्बन शमन उत्सर्जन की माप कर रहे हैं और इसके प्रभाव की जानकारी उन्हें देते हैं। उनका कहना है कि नासा कार्बन उत्सर्जन की माप कर ग्लोबल वार्मिंग की दुनिया को सचेत कर रहा है।
श्रोत व फोटो: नासा का वैज्ञानिक विज़ुअलाइज़ेशन स्टूडियो।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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