अंतरीक्ष में अनमोल रत्नों की तलाश में नासा

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नासा साइकी क्षुद्रग्रह मिशन अक्टूबर में लॉन्च करने जा रहा है

अंतरिक्ष में लेजर संचार का परीक्षण करेगा यह मिशन

भले ही क्षुद्रग्रह पृथ्वी के लिए बेहद खतरनाक हैं तो बहुमूल्य धातुओं की अपार संभावनाएं भी इनमें जताई जाती हैं। जिसकी जानकारी जुटाने व क्षुद्रग्रहों से संपर्क बनाने के लिए नासा डीप स्पेस ऑप्टिकल कम्युनिकेशंस (डीएसओसी) फ्लाइट ट्रांसीवर साइकी अंतरिक्ष यान मिशन लॉन्च करने जा रहा है। यह मिशन अक्टूबर में लॉन्च किया जाएगा।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा लंबे समय से क्षुद्रग्रहों का अध्ययन करते आ रहा है। अब उसकी नजर क्षुद्रग्रहों पर अनमोल रत्नों की तलाश है। जिसकी तलाश में अब नासा डीएसओसी मिशन की तैयारी कर रहा है। यह अंतरिक्ष अत्याधुनिक रेडियो सिस्टम की डेटा-रिटर्न की 100 गुना क्षमता रखता है। खास बात यह है कि डीप स्पेस ऑप्टिकल कम्युनिकेशंस (डीएसओसी) फ्लाइट ट्रांसीवर साइकी उपकरण अंतरिक्ष यान के बड़े ट्यूब-जैसे सनशेड के भीतर है और उसे टेलीस्कोप से जोड़ा गया है। यदि सब कुछ निर्धारित समय पर रहा तो नासा का साइकी मिशन शुरू हो जाएगा और धातु-समृद्ध क्षुद्रग्रह की यात्रा शुरू कर देगा। खगोलविदों का मानना ​​​​है कि जिस जगह उसे भेजा जा रहा है वह प्राचीन प्रोटोप्लैनेट का अवशेष है। इस मिशन के मिशन 300 मिलियन किलोमीटर यात्रा करने की उम्मीद है। मिशन की तकनीकी जानकारी को लेकर नासा का कहना है कि निकट-अवरक्त लेजर प्रकाश रेडियो तरंगों को पीछे छोड़ देता है। इसका कारण यह है कि लेजर टर्मिनल रेडियो एंटीना की तुलना में पतला और हल्का होता है और चूंकि लेजर प्रकाश की तरंग दैर्ध्य रेडियो सिग्नल की तुलना में कम होती है, इसलिए एक ऑप्टिकल बीम अधिक जानकारी प्रसारित कर सकता है। इसमें 22सेंटीमीटर एपर्चर टेलीस्कोप से जुड़ा एक कैमरा गणना करने मे सक्षम होगा, जो सैन डिएगो के पालोमर वेधशाला के संपर्क में रहेगा।

खगोलविदों का कहना है कि पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों के बढ़ते अभाव ने अंतरीक्ष की ओर देखने के लिए मजबूर कर दिया है। संभव है कि भविष्य में इंसान कई सारे वस्तुओं की अंतरीक्ष से पूर्ति करेगा। इस ओर नासा ने कदम आगे बढ़ाया है, जो भविष्य की नींव मजबूत करने जा रहा है। आने वाली पीढ़ीयों को इस कार्य को अंजाम तक पहुचाना होगा।
श्रोत व फोटो: नासा।


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