मंगल भी अछूता नहीं महा सुनामी की मार से

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मंगल की जमीं भी अछूता नहीं महा सुनामी की मार से

लाल ग्रह मंगल की धरती हमारी अपनी पृथ्वी से कतई जुदा नहीं है। जैसे मंगल ग्रह पर रिसर्च आगे बड़ती जा रही है तो चौंकाने वाले रहस्य भी सामने आ रहे हैं। जिनसे पता चलता है कि जिस पथ से लाल ग्रह मंगल गुजरा था, उसी राह से हमारी पृथ्वी भी आगे बढ़ रही है। अब जो आश्चर्यजनक रहस्य सामने आया है, वह महा विनाश के रूप में पहचाने जाने वाली सुनामी है। जिसकी विभीषिका से मंगल ग्रह भी अछूता नहीं रहा । मंगल पर सुनामी के मार के निशान आज भी मौजूद हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा है। जिसे जानकर वैज्ञानिक भी कम हैरान नही। हाल में हुए शोध से पता चला कि मंगल पर सुनामी करीब साढ़े तीन अरब साल पहले आई । जिसके तमाम निशान आज भी मौजूद हैं। इस शोध में आश्चर्य करने वाली एक और बात छिपी हुई है कि मंगल पर सुनामी वाले स्थान की तस्वीरें 1976 में हम तक पहुंच है, लेकिन उस स्थान में सुनामी का पता दुनिया को कुछ दिन पहले पता चला।

वाइकिंग 1 अंतरिक्ष यान उतरा था सुनामी के मलवे पर

अतरिक्ष यान वाइकिंग 1 को यह श्रेय जाता है। यह पहला यान था, जो 20 जुलाई, 1976 को मंगल के उत्तरी गोलार्ध में क्रिसे प्लैनिटिया नामक चिकने वृत्ताकार मैदान में एक प्राचीन नदी चैनल की निचली सतह पर उतरा था। और जिस जगह पर वह उतरा था , मंगल के क्रिस प्लैनिटिया का वह स्थान काफी सपाट और सुरक्षित था। साथ ही यह स्थान प्राचीन नदी चैनल का एक निचली जगह थी। इस जगह पर अरबों साल पहले भारी बाढ़ आई थी। जो मेघा सुनामी के कारण ही आई होगी। इस जगह पर जहाँ कभी समंदर रहा होगा और संभवतः जीवित जीव भी हो सकते थे

मंगल पर आज भी मौजूद हैं सुनामी के ठोस सबूत 

शोधकर्ताओं ने इसी माह इस रहस्य का खुलासा किया। घोषणा की कि एक प्राचीन मेगा सुनामी के निशान बोल्डर, चट्टानों और अन्य तलछट के रूप में नजर आते हैं, जो वहां आज भी जमा हैं। वाइकिंग 1 की तस्वीरों से इसका पता चलता है। और यह सुनामी एक एस्टीराइड के टकराने के कारण आई थी। क्योंकि कुछ दूरी पर एक एस्टीरॉयड का निशान मिलता है। यह ठोस सबूत है, जो बताता है कि उसके गिरने के कारण आई। यह भी दिगर है कि तब मंगल पर महा सागर हुआ करता था।

 इसी माह दिसंबर में प्रकाशित हुआ शोध 

प्लैनेटरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमुख लेखक एलेक्सिस रोड्रिग्ज और उनके सहयोगियों ने 1 दिसंबर, 2022 को वैज्ञानिक रिपोर्ट (प्रकृति) में अपने साथियों की समीक्षा के निष्कर्षों को प्रकाशित किया। शोध में वैज्ञानिकों ने विभिन्न सिद्धांतों को प्रस्तुत किया है। वाइकिंग 1 प्रभाव वाले क्रेटर या टूटे हुए लावा से मलबे के घने मैदान पर उतरा था।

एस्टीराइड का 110-किमी व्यास वाला गड्ढा है बढ़ा सबूत

वैज्ञानिकों ने पोहल क्रेटर की पहचान उस क्षुद्रग्रह के संभावित प्रभाव स्थल के रूप में की, जिसने पहली मेगा सुनामी पैदा की थी। टक्कर के समय, उत्तरी महासागर में पोहल क्रेटर पानी के नीचे था। 68-मील (110-किमी) व्यास वाला गड्ढा वाइकिंग 1 लैंडिंग स्थल से लगभग 560 मील (900 किमी) उत्तर-पूर्व में है। रोड्रिग्ज और उनकी टीम ने प्रभाव का अनुकरण किया। उन्होंने दिखाया कि मेगा सुनामी वास्तव में उस स्थान पर पहुंच गई होगी जहां अब वाइकिंग 1 है। विशाल मेगात्सुनामी 820 फीट (250 मीटर) की अनुमानित ऊंचाई तक पहुंच गई।

मंगल पर महासागर पृथ्वी जैसा ही हुआ करता था

ऐसा माना जाता है कि समुद्र को जलवाही स्तर से पोषित किया गया था, जो संभवत: 3.7 अरब साल पहले मंगल ग्रह के इतिहास में बहुत पहले बना था । जब इस ग्रह पर नदियों, झीलों, समुद्रों और एक आदिम महासागर के साथ पृथ्वी जैसा’ था। महासागर की क्षमता पृथ्वी जैसे मंगल ग्रह से विरासत में मिली हो सकती है। बहरहाल वाइकिंग 1 लैंडर की इस खोज को नकारा नहीं जा सकता। वैज्ञानिकों का कहना है कि आज के मंगल की तुलना में तब मंगल की अलग झलक प्रदान करता है। विशाल सूनामी के साथ एक तरल महासागर की दुनिया, जो वास्तव में आश्चर्य प्रतीत होता है।

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स्रोत: एक महासागरीय प्रभाव का साक्ष्य और क्रिसे प्लैनिटिया, मंगल में मेगात्सुनामी अवसादन।

फोटो: NASA/ मैरी ए. डेल-बैनिस्टर/वाशिंगटन विश्वविद्यालय/NSSDCA फोटो गैलरी के माध्यम से छवि।


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