ताजा शोध में मिल गया मंगल की धरती पर तरल जल
लाल ग्रह मंगल हमारे पड़ोसी ग्रह पर तरल जल की खोज को जद्दोजिहद कई दशकों से चल रही है। तमाम रोवर पानी की तलाश में मंगल की धरती की खाक छानने में जुटे हुए है, लेकिन इस मामले में हाथ कुछ नहीं लग पाया है, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर शोध कर लाल ग्रह की धरती पानी तरल जल के रूप में होने का दावा किया है। यह शोध मंगल पर मानव का दूसरा घर होने की उम्मीदों को परवान चढ़ाने वाला है। कमसेकम इस मामले में वैज्ञानिकों का एक बड़ा तबका खुश है, वही मंगल पर जब तक तरल जल नही मिल जाता, तब तक संशय तो बना ही रहेगा। बहरहाल नए शोध में वैज्ञानी अंतराष्ट्रीय स्तर पर शामिल हुए । जानते हैं किस तरह से यह शोध किया गया और मंगल का वह कौनसा स्थान है, जहा जल की गंगा बह रही होगी।
ध्रुवीय बर्फ के नीचे मंगल पर तरल पानी
यहां मंगल ग्रह के दक्षिणी ध्रुव का एक ऊपरी दृश्य है। नए अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के मुताबिक आइस कैप के नीचे तरल पानी होने का पता चलता है, पूर्व में हुए शोधों का समर्थन करता है। माना जाता है कि पृथ्वी के सबसे दक्षिणी महाद्वीप, अंटार्कटिका में बर्फ के नीचे सैकड़ों छोटे छोटे ग्लेशियल की झीलें हैं। उसी तरह मंगल में झीलें हो सकती हैं, मोटे ग्लेशियरों के भीतर अत्यधिक दबाव के चलते ध्रुवीय बर्फीले कैप के नीचे पानी होने के सबूत तो मिले हैं, लेकिन यह सबूत प्रयाप्त नहीं है। जिसे लेकर विवाद की बातें होते रही हैं। मगर अब वैज्ञानिकों के अंतरराष्ट्रीय टीम के पास ताजा शोध है जो मंगल के दक्षिणी ध्रुव के नीचे संभावित रूप से तरल झीलों के मामले को मजबूत करता है। अध्ययन नासा के मार्स ग्लोबल सर्वेयर ऑर्बिटर के डेटा के आधार पर किया गया है। यह शोध 29 सितंबर को नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित किया जा चुका है।
रोमांचक थी चार साल पहले, पहली बार मिले पानी के सबूत
वैज्ञानिकों ने पहली बार 2018 में मंगल की दक्षिणी ध्रुवीय बर्फीले कैप के नीचे तरल पानी के सबूत खोजे थे और इसकी पूरी संभावना जताई थी और यह रोमांचक पैदा करने वाली थी। मगर इसके अलावा अध्ययनों ने पानी की व्याख्या पर संदेह जताया था और इस खोज को मात्र कागजी ठहराया था।।
शोध मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर के रडार डेटा पर आधारित
नए अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के अनुसार तरल जल परिकल्पना को साकार करता प्रतीत होता है। पिछली व्याख्याएं – समर्थक और विपक्ष दोनों – मुख्य रूप से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर के रडार डेटा पर आधारित हैं। हालाँकि, नया अध्ययन, मार्स ग्लोबल सर्वेयर से आइस कैप की ऊपरी सतह के आकार के मार्स ऑर्बिटर लेजर अल्टीमीटर माप का उपयोग करता है। माप रडार डेटा की प्रारंभिक व्याख्या से सहमत हैं। वे पिछले रडार डेटा से अलग डेटा की पहली स्वतंत्र लाइन प्रदान करते हैं।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के स्कॉट पोलर रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमुख लेखक नील अर्नोल्ड के अनुसार
नए स्थलाकृतिक साक्ष्य, हमारे कंप्यूटर मॉडल के परिणाम, और रडार डेटा का संयोजन इस बात की अधिक संभावना बनाता है कि आज मंगल पर कम से कम एक सब ग्लेशियर में तरल पानी मौजूद है, और पानी को बनाए रखने के लिए मंगल को आइस कैप तरल के नीचे अभी भी भू-तापीय रूप से सक्रिय होना चाहिए।इसी क्रम में शेफील्ड विश्वविद्यालय के फ्रांसिस बुचर कहते हैं कि यह अध्ययन अभी तक का सबसे अच्छा संकेत देता है कि मंगल पर तरल पानी है।
सतह के नीचे जल का उतार-चढ़ाव संभव है
शोधकर्ताओं ने उसी क्षेत्र में ध्रुवीय बर्फीले कैप की सतह स्थलाकृति को देखा। इस स्थान पर रडार ने संभावित उपसतह जल का पता लगाया था। मार्स ग्लोबल सर्वेयर डेटा ने सतह के नीचे एक दिलचस्प लहर का खुलासा किया, जो लगभग 10-15 किमी लंबा था। इस क्षेत्र में एक अवसाद और एक उठा हुआ क्षेत्र शामिल हैं। यह आसपास की बर्फ से कई मीटर तक विचलित हो जाता है। इससे यह पता तो चलता है कि पृथ्वी के समान उपसतह हिमनद झीलों के ऊपर समान उतार-चढ़ाव देखा है।
जल है तो मंगल पर निश्चित ही कल है
इस शोध के जरिए मंगल पर तरल जल की मौजूदगी को लेकर शोध करने वाली वैज्ञानिकों की टीम ने कई तर्क दिए हैं। कई ठोस आंकड़ों के जरिए बताया है कि मंगल पर तरल अवस्था में कल जल है,, यानी जल है तो जीवन है और मंगल पर कल है।
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स्रोत: मंगल की दक्षिणी ध्रुवीय बर्फ की टोपी के नीचे सबग्लेशियल पानी का सतही स्थलाकृतिक प्रभाव
छवि NASA/JPL/मार्स ग्लोबल सर्वेयर/मालिन स्पेस साइंस सिस्टम्स/कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के माध्यम से।
- कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के माध्यम से
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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