मंगल व पृथ्वी के समंदर के पानी का स्वाद समान

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मंगल व पृथ्वी के समंदर का पानी का स्वाद समान

जीवन की संभावनाओं को लेकर लाल ग्रह मंगल की धरती से अधिक उपयुक्त कोई दूसरी धरती नही और अब मंगल की धरती पर जो मिला है, वह और भी खुश करने वाली खबर है। अब नई खोज में पता चला है कि वहां के समुंद्र खारे पानी से भरे हुआ करते थे। इस खोज से यह विश्वास जगने लगा है कि मंगल में कभी मानव जैसा जीवन शायद रहा हो। साथ ही मंगल की धरती पर जीवन बसाने की संभावना बढ़ चली हैं।

कई मायनों में एक जैसे हैं पृथ्वी व मंगल

दरअसल मंगल ग्रह कई मायनों में पृथ्वी से मेल खाता है। जिस कारण किसी दूसरे ग्रह पर जीवन बसाने की बात हो या फिर जीवन की तलाश रही हो, मंगल ग्रह वैज्ञानिकों का केंद्र रहा है। मंगल पर खारे पानी की खोज चीन के वैज्ञानिकों ने की है। शोधकर्ताओं का मानना है कि मंगल के मार्शियन भूमध्य रेखा क्षेत्र के पास रेत के टीलों पर पपड़ी, दरारें ,बैनेट समेत कई भूगर्भीय स्थितियां बताती हैं कि इस ग्रह पर अकूत पानी हुआ करता था।

सवा से चार साल पहले तक था समुंद्र

साथ ही यह पता भी चला है कि यह समंदर अति प्राचीन समय के न होकर हाल में ही रहे थे, जो सवा लाख से चार लाख साल पहले तक मौजूद थे। चीन के ज़ुरोंग रोवर ने इसका खुलासा किया है। रोबर से प्राप्त सबूतों का रासायनिक विश्लेषण किया गया और पानी की शुद्धता की जांच कर यह निष्कर्ष निकाला कि मंगल की धरती के समुंद्र का पानी खारा था। यह खोज वास्तव में बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। क्योंकि पृथ्वी के समुंद्र का पानी भी खारा है।
शोधकर्ता वैज्ञानिकों ने साइंस एडवांस में यह शोध जारी किया है।

चीन का मार्स ज़ुरॉन्ग रोवर की खोज

चीन का मार्स ज़ुरॉन्ग रोवर मई 2021 में मंगल ग्रह की भूमध्य रेखा के ठीक उत्तर क्षेत्र में यूटोपिया प्लैनिटिया नामक क्षेत्र में उतरा था। यहां तक पहुंचने में नौ माह का समय लगा। इस रोवर ने क्षेत्र के टीलों की रासायनिक संरचना की जानकारी एकत्र की और रेतीली सतहों के साथ पाई जाने वाली दरारों का माप लिया। जिनकी जांच करने पर वैज्ञानिक किन और उनकी टीम ने हैरान रह गए। बीजिंग के चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के भूविज्ञानी शियाओगुआंग किन व अन्य वैज्ञानिक इस अध्ययन में शामिल रहे।

मंगल के रेत के टीले दे सकते हैं जीवन

शोधकर्ता वैज्ञानिक क्विन का कहना है कि ज़ुरॉन्ग रोवर के निष्कर्ष तुलनात्मक रूप से हल्के जमीनी तापमान की ओर इशारा करते हैं, जो बताता है कि मंगल के कम अक्षांश वाले रेत के टीले जीवन बसाने के लिए मददगार साबित हो सकते हैं।

चीन व अमेरिका के बीच है प्रतिस्पर्धा

मंगल पर पहुंचने के साथ जीवन बसाने की होड़ दुनियाभर के वैज्ञानिकों के बीच है, लेकिन इस होड़ में सबसे आगे चीन व अमेरिका खड़े हैं। हालाकि रूस व यूरोप भी बहुत पीछे नहीं हैं। मगर जिस तेजी से अमेरिका व चीन आगे बढ़ रहे हैं, उससे लगता है कि इन्ही दो देशों में से कोई एक मंगल फतह करेगा।

श्रोत व फोटो : अर्थ स्काई।


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