वेब ने वैज्ञानिकों की उम्मीद पर फेर दिया पानी
हमारे सौर परिवार से बाहर
किसी दूसरे पर जीवन की संभावना को लेकर खागिलविद लंबे समय से प्रयासरत हैं। इस बीच हमारे सौरमंडल के बाहर एक ऐसा ग्रह नजर आया था, जिसमें जीवन की संभावना नजर आ रही थी। मगर वेब ने इस ग्रह के वातावरण की जांच कर वैज्ञानिकों की उम्मीद पर पानी फेर दिया है। इस ग्रह का नाम ट्रैपिस्ट-1 सी है।
यह बाहरी ग्रह पृथ्वी से 40 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह चट्टानी ग्रह है, जो एक अल्ट्राकूल लाल बौने तारे की परिक्रमा करता है। हमारी आकाशगंगा में मौजूद सबसे सामान्य प्रकार का तारा है। हमारे करीब होने के कारण इस एक्सोप्लैनेट को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है। इस तारे तारे का अपना सौरमंडल है। सात ग्रह इस सोलर मंडल में मौजूद हैं। कुछ समय पहले इस बाहरी सोलर सिस्टम की खोज हुई थी। इस सोलर सिस्टम के ट्रैपिस्ट-1 सी ग्रह पर जीवन मौजूद होने की सम्भावना वैज्ञानिकों को थी। उसकी वजह पृथ्वी की तरह इस ग्रह का चट्टानी होना था। मगर यह सम्भावना तब खत्म हो गई, जब नासा की जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप ने इसकी सतह को देखा और वातावरण परखा। तब पता चला कि इस पर पृथ्वी के समान कोई वातावरण नही है और यदि हुआ भी तो वह कार्बन डाइऑक्साइड की पतली परत के रूप में हो सकता है। इस ग्रह की विस्तृत जानकारी देने वाले जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोनॉमी के शोध छात्र सेबस्टियन ज़ीबा के अनुसार अतीत में हम वास्तव में केवल मोटे हाइड्रोजन-समृद्ध वातावरण वाले ग्रहों का ही अध्ययन कर सकते थे। मगर वेब के साथ हम अंततः ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड के प्रभुत्व वाले वायुमंडल की खोज शुरू कर पाने सक्षम हो चुके हैं।ट्रैपिस्ट 1 सी ग्रह आकार और द्रव्यमान में हमारे अपने सौर मंडल के आंतरिक चट्टानी ग्रहों के समान हैं, लेकिन इस ग्रह के वायुमंडल की संरचना अस्पष्ट बनी हुई है। जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप के शक्तिशाली मिड-इन्फ्रारेड इंस्ट्रूमेंट बाहरी ग्रहों के वातावरण का भेद खोल सकता है। इस ग्रह की खोज के बाद खगोलविदों ने सोचा कि ट्रैपिस्ट-1 सी में शुक्र ग्रह की तरह गाढ़ा कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण हो सकता है, यह देखते हुए कि इसका आकार लगभग समान है और यह अपने मेजबान तारे से उतनी ही मात्रा में विकिरण प्राप्त करता है जितना शुक्र सूर्य से प्राप्त करता है। मगर यह सारी संभावनाएं अब खत्म हो चुकी हैं।
मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोनॉमी के सह-लेखक लॉरा क्रेडबर्ग ने अपने बयान में कहा है कि किसी बाहरी ग्रह के वातावरण की जांच कर पाना साधारण कार्य नही है। वैज्ञानिकों के मन में दशकों से यह सवाल उठता रहा है कि क्या चट्टानी ग्रह वायुमंडल को बनाए रख सकते हैं। मगर वेब स्पेस टेलिस्कोप ने आज इसका खुलासा कर दिया। हमें इस बात की खुशी है कि अब हम एक्सोप्लैनेट सिस्टम की तुलना अपने सौर मंडल से कर सकते हैं और जान सकते हैं कि कौनसे बाहरी ग्रह का वातावरण पृथ्वी जैसा है।
श्रोत व फोटो: अर्थ स्काई।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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