अद्भुत, आकर्षक, मनमोहक है यह निहारिका
ओरियन नेबुला अनंत आसमान की गहराई में फैली एकमात्र निहारिका है, जो सदियों से वैज्ञानिकों के आकर्षण के केंद्र में रही है। तारों को जन्म देने वाली इस नर्सरी पर दुनिया के वैज्ञानिक अनेकों बार रिसर्च कर चुके हैं और तारों की श्रेणियों को विभाजित करने में इस महान निहारिका की भूमिका रही है। इतना ही नही इसी निहारिका के जरिए तारों के जन्म को लेकर अनेक जानकारियां हम जान पर। खास बात यह है कि यह निहारिका आकर्षक है, कई रंगों से सजी हुई है और खगोलविदों समेत एस्ट्रोफोटोग्राफर इसकी तस्वीर के साथ खेलते रहे हैं।
पहली बार 1611 में देखा गया था इस निहारिका को
ओरियन निहारिका हमसे बहुत अधिक दूर नहीं है। 1610 में गैलीलियो ने दूरबीन का आविष्कार किया था। इसके बाद आसमान की गहराई में झांक पाने में हम सक्षम हो गए और इसके वर्ष बाद 1611 में पहली बार इस निहारिका को देखा गया। इसकी निहारिका की मंत्रमुग्ध कर देने वाली सुंदरता ने वैज्ञानिकों को इसकी जांच पड़ताल को लेकर मजबूर कर दिया। तब वैज्ञानिकों के मन में इस अनोखी दुनिया को समझ पाना एक चुनौती था और बढ़ते समय के साथ इसके भेद भी खुलते चले गए।
1619 में इसे सफेद बादल का रूप बताया
इस निहारिका के खोज के आठ वर्ष बीत चुके थे, लेकिन इसकी सच्चाई का रहस्य बरकरार था और 1619 में वैज्ञानिकों को बस इतना ही समझ आया कि यह विशाल क्षेत्र में फैला एक सफेद बादल है, जो गैस से बना हुआ है। तब आज की तुलना में उन्नत तकनीक वैज्ञानिकों के पास नहीं थी। सफेद बादल का जो स्वरूप नजर आया था, वह संभवतः तारे बनने की प्रक्रिया के दौरान नजर आया हो। बहरहाल समयचक्र आगे बढ़ता गया और ब्रह्माण्ड को देखने समझने की ललक भी बढ़ती चली गई।
1865 में विलियम हगिंस स्पेक्ट्रोस्कोप की रिसर्च
खगोल के प्रति रुचि रखने वालों के लिए अंतरीक्ष के इस रहस्य को जान पाना बड़ी चुनौती थी। कई दशक बीत चुके थे, लेकिन इसकी सच्चाई अभी तक उजागर नही हो सकी थी। 1865 में विलियम हिगिंस ने स्पेक्ट्रोस्कोप की मदद ली। जिसके जरिए इसका अध्ययन किया और पुष्टि कि वास्तव में यह गैस से बना है।
हमसे 1344 प्रकाश वर्ष दूर है यह निहारिका
ओरियन निहारिका को जान पाने के लिए भले ही अतीत बेहद जटिल रहा हो, लेकिन वक्त के साथ इसके तार जुड़ते चले गए। और फिर इसकी सच्चाई सिलसिवार सामने आती गई। ये निहारिका पृथ्वी से मात्र 1344 प्रकाश वर्ष दूर है। इसे तारे बनाने वाली महान फैक्ट्री कहा जाता है।
एस्ट्रोफोटोग्राफर व युवा लेखक बबलू के अनुसार
नैनीताल के एस्ट्रोफोटोग्राफर व युवा लेखक बबलू कहते हैं कि इस निहारिका को निहारना अदभुत है। ओरियन बेल्ट के एक लाइन में पंक्तिबद्ध तीन तारों के जरिए इस निहारिका को देख पाना और पहचान आसान है। एक लाइन में नजर आने वाले तीन बेहद आकर्षक नजर आते हैं। इस निहारिका की तस्वीर लेने के लिए बबलू चंद्रा को थोड़ी मशक्कत करनी पड़ी। मगर यह अनुभव उनके लिए अद्भुत और निराला था।
आईआईए बंगलूरू के प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो आरसी कपूर के अनुसार
ओरियन नेबुला इन दिनों रात के आसमान में दिखाई दे रहा है। इसे सूर्यास्त के एक घंटे बाद दक्षिण-पूर्व में नंगी आंखों से आसानी से देखा जा सकता है। यह ओरियन नक्षत्र के बेल्ट में स्थित है। एक छोटी दूरबीन से एक दृश्य लुभावनी है। यह बहुरंगी, लाल, नीला, बैंगनी, हरा होता है।
यह एक फैला हुआ नीहारिका है और इसे एक महान कारखाने के रूप में माना जाता है जहाँ नए सितारे पैदा होते हैं।
यह 1 डिग्री कोण में फैला हुआ है, और वास्तव में, यह 24 प्रकाश वर्ष में फैला हुआ है।
यह 1344 प्रकाश वर्ष दूर है।
इसे शायद 1611 में साइसैट द्वारा एक दूरबीन के माध्यम से देखा गया था, और पहली बार 1619 में सितारों के बीच एक सफेद बादल के रूप में वर्णित किया गया था। 1865 में, विलियम हगिंस ने एक स्पेक्ट्रोस्कोप के साथ इसका अध्ययन किया और कहा कि यह चमकदार गैस से बना था, जैसा कि उन्होंने अध्ययन किया था।
श्रोत: प्रो आरसी कपूर (खगोलविद)
फोटो: बबलू चंद्रा द्वारा नैनीताल से ली गई ओरियन निहारिका की अद्भुत तस्वीर।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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