पलक झपकते ही बूझ जाती है ये रोशनी

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ये नजारा दुर्लभ नजारा अद्भुत है, लाइटनिंग स्प्राइट्स

लाइटनिंग स्प्राइट्स मंत्रमुग्ध कर देने वाली रोशनी है। इस कुदरती बिजली के बारे में हर कोई नही जानता। इस लाइट को पहचान पाना भी आसान नही है। जो इसके बारे में जानते है, उन्हे इसका बेसबरी से इंतजार रहता है। वैज्ञानिक इस रोशनी को दुर्लभ नही मानते है। मगर आम नजरों में यह बेहद दुर्लभ है। इसके बारे मौसम विज्ञानियों को भलीभांति पता होता है, जबकि प्रकृति फोटोग्राफर भी इसकी सुंदरता से अनभिज्ञ नही हैं। जिस कारण उनकी नजर इसकी तलाश में रहती है। साथ ही आसमान का अध्ययन करने वाले ही इस रोशनी से वाकिब हैं। स्प्राइट्स बहुत ज्यादा मशहूर नहीं हैं और क्षणभंगुर हैं । इसलिए इन्हे कैमरे में कैद कर पाना भी आसान नही होता।

80 किमी ऊपर उत्पन्न होती है यह रोशनी

लाइटनिंग स्प्राइट्स पृथ्वी के वायुमंडल में उच्च विद्युत निर्वहन हैं। ये दरसल झंझावात हैं, ये बारिश करने वाले बादलों में उत्पन्न नही होती। अब थंडरस्टॉर्म की बात करें तो वह पृथ्वी की सतह से लगभग 4 से 12 मील (लगभग 6 से 19 किमी) ऊपर तक पैदा हो सकती है। लाइटनिंग स्प्राइट्स इनसे बहुत अलग है, जिसे रेड स्प्राइट्स भी कहा जाता है । यह लाइट पृथ्वी के मेसोस्फीयर में उत्पन्न होते हैं और आकाश में 50 मील (80 किमी) तक ऊंचाई में उत्पन्न होती हैं।

पलक झपकने जितनी है ये कुदरती घटना

वायुमंडलीय विद्युत गतिकीविदों ने इनके उत्पन्न होने के पीछे की मूल बातों का पता लगाया है। वैज्ञानिक कहते हैं कि स्प्राइट्स को अक्सर जमीन के पास साधारण बिजली के एक मजबूत, सकारात्मक बोल्ट द्वारा ट्रिगर किया जाता है। उन्हें एक संतुलन तंत्र के रूप में माना जाता है जिसका उपयोग वातावरण आवेशों को लंबवत रूप से वितरित करने के लिए करता है। यह एक त्वरित प्रक्रिया है जिसमें सेकंड के दसवें हिस्से से भी कम समय लगता है। बहुत कम समय में होने वाली इस घटना यानी स्प्राइट्स को कैमरे में कैद कर पाना आसान नही होता। यह पलक झपकने जितनी घटना है।

स्टीफन हूमेल ने कैद किया अद्भुत रोशनी को कैमरे में

वेस्ट टेक्सास में मैकडॉनल्ड्स ऑब्जर्वेटरी में काम करने वाले स्टीफन हूमेल ने घुप अंधेरी रात में लाइटनिंग स्प्राइट्स उर्फ ​​रेड स्प्राइट्स के इस क्षणभंगुर दृश्य को कैमरे में कैद किया है। मैकडॉनल्ड ऑब्जर्वेटरी अपने क्षेत्र में डार्क स्काइज़ इनिशिएटिव का महत्वपूर्ण कार्य करती है। स्टीफन की जुबानी सुने तो उन्होंने कहा कि अंधेरा आसमान ही है, जो प्रेत जैसी धुंधली वस्तुओं को देखने में मदद करता है।

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श्रोत: अर्थ स्काई

फोटो: अर्थ स्काई


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