सूर्य की किरणों पर रहेगी आदित्य की नजर
सीमित संसाधनों के साथ अल्प समय में भारतीय खगोल विज्ञान की लंबी छलांग को दुनिया ने देख लिया और भारतीय वैज्ञानिकों की योग्यता का लोहा भी मान लिया है और अब ऐसी ही एक और ऊंची उड़ान की तैयारी में भारत है। इस उड़ान का नाम है आदित्य L1. अगले वर्ष आदित्य सूर्य के करीब पहुंच कर उसकी हर किरण की गर्माहट को महसूस कर रहा होगा।
इस मिशन में 2006 से जुड़े सौर वैज्ञानिक व आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज, नैनीताल, इंडिया के निदेशक प्रो दीपांकर बनर्जी इस मिशन के अंतिम चरण में जा पहुंचने से बेहद उत्साहित है। इस मिशन को मंजिल तक पहुंचाने का जिम्मा इसरो की जिम्मेदारी है।
आदित्य L1 सूर्य के भू चुम्बकीय तूफानों पर रखेगा खास नजर
सूर्य से उठने वाले भू चुम्बकीय एक बड़ी समस्या है। हमारे सैटेलाइट, हवाई उड़ान और धरती के इलेक्ट्रॉनिक्स व इलेक्ट्रिकल ग्रिडस के लिए बड़ा खतरा होता है। जो बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है और ये तूफान कब उठ जाएं कहा नही जा सकता। इसलिए इनके उठते ही धरती की ओर आ रहे इन तूफानों की सूचना आदित्य हम तक पहुंचा देगा। सूचना मिलते ही हम सुरक्षा के इंतजाम कर अपने उपकरणों को समय रहते नुकसान से बचा सकते हैं।
2006 से शुरू हो गया था मिशन का कार्य
आदित्य L1 की महत्वाकांक्षी योजना का कार्य 2006 से शुरू हो गया था। कई पहलुओं की जांच पड़ताल के बाद अंतिम रूप रेखा तय कर योजना को फाइनल रूप तैयार कर लिया गया। खास बात यह है कि इसे पूरा करने में 5 साल का समय लग गया और केंद्र सरकार ने अपनी सहमति दे दी और योजना को लीड करने की बागडोर इसरो को सौंप दी। तबसे इस मिशन पर निरंतर कार्य चल रहा है।
एरीज है आदित्य L1 का साइंस सपोर्ट सैल
आदित्य-एल1 साइंस सपोर्ट सेल (AL1SSC) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज), नैनीताल व विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संस्थान के संयुक्त प्रयास से इसे अमली जामा पहनाया जा रहा है। AL1SSC सूर्य पर होने वाली बुनियादी प्रक्रियाओं, वर्तमान शोध प्रश्नों, आदित्य-L1 मिशन और डेटा विश्लेषण तकनीकों की जानकारी को लेकर एरीज में एक कार्यशाला आयोजित करा चुका । यह कार्यशाला एरीज में आजादी का अमृत महोत्सव की गतिविधियों का एक हिस्सा है।
सूर्य के अध्ययन के लिए भारत का पहला मिशन
आदित्य-एल1 मिशन सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला समर्पित अंतरिक्ष मिशन है। यह सूर्य की गतिशील प्रक्रियाओं की व्यापक समझ को सक्षम करेगा और सौर भौतिकी के कुछ अनसुलझे प्रश्नों का समाधान करेगा। AL1SSC की स्थापना अतिथि वैज्ञानिकों द्वारा वैज्ञानिक प्रस्ताव बनाने और डेटा विश्लेषण में सहायता करने के लिए एक सामुदायिक सेवा केंद्र के रूप में की गई है। यह सपोर्ट सेल डेटा को समझने, डाउनलोड करने और विश्लेषण करने के लिए आवश्यक संसाधन और दस्तावेज प्रदान करता है।
प्रो दीपांकर बनर्जी कहते हैं –
प्रो. दीपांकर बनर्जी, निदेशक, एरीज़ ने कहा कि देशभर में बड़ी संख्या में छात्रों और वैज्ञानिकों द्वारा आदित्य एल1 के डेटा का उपयोग एरीज में AL1SSC यूजर सपोर्ट सेल के उद्देश्यों में से एक है। इस कार्य को जिम्मेदारी से निभाएंगे। यह मिशन देश के गौरव को आगे बढ़ाएगा और दुनिया में भारत को विशेष पहचान देगा।
श्रोत : प्रो दीपांकर बनर्जी, निदेशक, एरीज, नैनीताल।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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