भारत ने रचा इतिहास: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर दुनिया का पहला देश बना
भारतीय मून मिशन चन्द्रयान 3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच दिया। इस सफलता के साथ मून मिशन में भारत दुनिया का चौथा देश बन गया, जबकि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया।
बुधवार शाम 6.5 बजे चन्द्रयान 3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की। भारत ही नही बल्कि दुनिया के कई देशों के खगोल वैज्ञानिक इस लैंडिंग को लाइव देख रहे थे और सफलता मिलते ही अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा समेत कई देशों की स्पेस एजेंसियों ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो व भारत को बधाई दी। भारत के लिए यह समय यादगार था और गौरवमय था।
मिशन चन्द्रयान 2 का 2019 में सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान असफल हो गया था। हालाकि उसका ऑर्बिटर तब से निरंतर अपना कार्य कुशलतापूर्वक कर रहा है। चंद्रयान 3 विक्रम लैंडर के चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से संचार स्थापित कर चुका है।
पांच दिन पहले रूस के लूना 25 के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से रूस को ही नही, बल्कि समूचे विश्व के खगोल विज्ञान जगत को झटका लगा था। जिसकी भरपायी की उम्मीद चन्द्रयान 3 की सफल लैंडिंग से थी। जिस कारण दुनिया की नजर चन्द्रयान 3 पर थी और चंद्रयान 3 दुनिया की उम्मीद पर खरा उतरा।
इसरो का चंद्रयान-3 , 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। लाखों किमी की लंबी यात्रा के बाद आज 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करना था। पूरी दुनिया, भारत के इस ऐतिहासिक पल का बेसब्री से इंतजार कर रही थी । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने यह इतिहास रच डाला।
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था।
भारतीय चंद्रयान-3 मून मिशन श्रृंखला का तीसरा संस्करण है, जो योजना के अनुसार को पूरी करने में सफल रहा। जिसने चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर दुनिया का पहला देश बन गया। साथ ही मून मिशन मे दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अभी तक अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ यह उपलब्धि हासिल कर चुके हैं।
अंतरिक्ष यान में स्वदेशी प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है जिसका उद्देश्य “अंतर्ग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नई तकनीकों का विकास और प्रदर्शन करना” है।
लैंडर का नाम विक्रम साराभाई (1919-1971) के नाम पर ‘विक्रम’ रखा गया है। जिन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक और भारत की अंतरिक्ष एजेंसी, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का संस्थापक माना जाता है।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर कीर्तिमान स्थापित करने वाले भारतीय चंद्र मिशन चन्द्रयान 3 चंद्रमा के अनेक रहस्य उजागर करेगा।
चंद्रमा पर जल की मौजूदगी बड़ा रहस्य है। तरल जल के बिना चंद्रमा पर जीवन की कल्पना नही की जा सकती। साथ ही चांद की धरती को अंतरिक्ष स्टेशन बनाने का सपना भी साकार नही हो सकता। दरअसल दुनिया की स्पेस एजेंसियां मानती हैं कि मानव का मंगल ग्रह का सफर चाँद की धरती के इस्तमाल के बिना संभव नही है।
चंद्रमा की धरती पर उठने वाले भूकंप की विस्तृत जानकारी अभी भी अधूरी है। चंद्रमा की भूगर्भीय स्थिति पृथ्वी के मुकाबले बहुत ज्यादा संवेदनशील है। चाँद की धरती पर आए दिन भूकंप आते रहते हैं, जो संभवतः पृथ्वी की तुलना में अधिक तीव्रता वाले होते हैं।
चाँद की धरती पर खनिज पदार्थों का पता लगाना व चंद्रमा की उत्पत्ति का रहस्य उजागर करना होगा। चाँद की धरती की निर्माण के बारे में जानना होगा। चंद्रमा की धरती पर गिरने वाले आकाशीय पिंडों की जानकारी व उनसे सुरक्षा के उपाय तलाशने में चन्द्रयान 3 शायद कोई राह दिखा सके।
श्रोत व फोटो: इसरो
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
और अधिक जानें