अगर पृथ्वी पर आता ये तूफान तो खत्म हो जाती दुनिया

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ऐसा तूफान पृथ्वी पर आता तो खत्म हो जाती दुनिया

480 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाले तूफान से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि तबाही का मंजर कैसा होगा। सौभाग्य से यह तूफान पृथ्वी पर नही बल्कि बृहस्पति ग्रह पर उठा है। यह तूफान थमने का नाम नही ले रहा है और सदियों से बना हुआ है। मगर अब  ताजा खबर आई है कि इस तूफान रूख कुछ तो नरम पढ़ने लगा है।
ग्रेट रेड स्पॉट के नाम से जाना जाता है ये तूफान
बृहस्पति का यह तूफान ग्रेट रेड स्पॉट के नाम से जाना जाता है। लाल रंग में लिपटा यह तूफान भले ही बेहद मनमोहक हो, लेकिन इसकी विनाशलीला की कल्पना नही की जा सकती। इस तूफान का आकार पृथ्वी से तीन गुना बढ़ा है, जो कई सदियों से सक्रिय है।
 येल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तूफान का दायरा अब सिकुड़ने लगा है।
सदियों से नजर रखी जा रही इस तूफान पर
ग्रेट रेड स्पॉट तूफान की भयावहता को देखते हुए खगोलविद लगातार इस पर  नजर रखे हुए हैं। एक ओर जमीनी दूरबीन से इसे देखा जाता है तो दूसरी ओर अन्तरिक्षयानों के जरिए इसके आकार प्रकार की समय समय जांच की जाती है। नया शोध बताता है कि  पिछले 50 वर्षों से इसके आकार में कमी आ रही है। इसका अर्थ है कि तूफान अब कमजोर पड़ने लगा है।
छोटे तूफानों का बढ़ा प्रभाव
येल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक कालेब कीवेनी  कहना है कि ग्रेट रेड स्पॉट और छोटे तूफानों के बीच संपर्क का अध्ययन 3डी सिमुलेशन विधि के जरिए किया गया। तब पता चला कि इसके आसपास के छोटे तूफानों का बड़ा प्रभाव रहता है, जो ग्रेट रेड स्पॉट तूफान पर गहरा प्रभाव डालता है।
भंवरो से घिरा हुआ है तूफान का वातावरण
बृहस्पति गैस का विशाल ग्रह है। इसका वातावरण घुमावदार भंवरों से रहता है। तूफान सैकड़ों वर्षों से बृहस्पति पर व्याप्त है।  480 किमी प्रति घंटा की गति से तूफान बृहस्पति को झिझोड़ते हैं।
1664 में पहली बार देखा गया था इस तूफान को
  रॉबर्ट हुक ने  1664 में पहली बार इसकी पहचान तूफान के रूप में की थी। हालांकि यह माना जाता है कि दुनिया में कुछ लोग इसे अलग अलग जगहों से देखने में लगे थे और इसकी वास्तविकता को समझने का प्रयास कर रहे थे। 1711 में इसकी पहली पेंटिंग बनाई गई थी। जिसमें ग्रेट रेड स्पॉट का चित्रण लाल रंग के रूप में दिखाया गया ।
कोई अवरोध न होने के कारण सक्रिय है तूफान
पृथ्वी की तरह बृहस्पति का तूफान किसी पर्वत से नही टकराता है।  तूफान की राह में कोई अवरोध उत्पन्न नही होने के कारण यह निरंतर आगे बढ़ते रहता है।  जिस कारण यह तूफान सक्रिय बना हुआ है। विज्ञानियों का नया शोध बताता है कि छोटे छोटे तूफानों की संख्या घटने से ग्रेट रेड स्पॉट तूफान का आकार घटने लगा है।
लेखक : बबलू चंद्रा।
स्रोत: बृहस्पति के ग्रेट रेड स्पॉट के आकार और ताकत पर क्षणिक भंवर अंतःक्रियाओं का प्रभाव।

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