नौवा ग्रह होता तो धरती से कर देता जीवन का सफाया
हमारे सौर मंडल में आठ ग्रह हैं, जो एक दूसरे से किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं। खासकर ग्रेविटी ने एक दूसरे को बांधकर रखा हुआ है। मगर अब जो नया शोध सामने आया है, वह चौंकाने वाला है। यह शोध कंप्यूटर सिमुलेशन के जरिए किया गया है। जिसमें मंगल व बृहस्पति के बीच मडराते अनगिनत एस्टीरॉयड को आधार बनाया गया है। जिसमें बताया गया है कि मंगल और बृहस्पति के बीच लाखों करोड़ों एस्टीरॉयड आपस में जुड़कर ग्रह बन जाते तो तब हमारा सौर परिवार कैसा होता और उस ग्रह का अपने पड़ोसी ग्रहों पर क्या असर पढ़ता। तो यह जानकर हैरानी होगी कि यह ग्रह धरती को इतनी दूर छिटक देता कि फिर उसमें जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती यानी पृथ्वी से जीवन का अस्तित्व मिट जाता।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय रिवरसाइड के वैज्ञानिकों का शोध
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय रिवरसाइड के वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर सिमुलेशन के जरिए इस शोध को अंजाम तक पहुंचाया है। । जिसमें हमारे सौर मंडल की तमाम स्थितियों को उजागर करने के बाद कई जानकारियां सामने आई। पृथ्वी जैसा कोई ग्रह मंगल और बृहस्पति के बीच परिक्रमा करता तो पृथ्वी को सौर मंडल से बाहर धकेल देता और इस ग्रह पर जीवन का सफाया कर देता। प्लैनेटरी साइंस जर्नल में यह अध्ययन प्रकाशित किया गया है।
मंगल व बृहस्पति के बीच है क्षुद्रग्रहों इस बढ़ा कुनवा
मंगल व गुरु के बीच छोटे बढ़े आकार के लाखों करोड़ो क्षुद्रग्रह हैं। इन क्षुद्रग्रहों का पृथ्वी के करीब से गुजरने का सिलसिला बना रहता है। अंतरिक्ष में मंगल व बृहस्पति के बीच के हिस्से को क्षुद्रग्रह बेल्ट कहते हैं। मगर सवाल उठता है कि क्षुद्रग्रहों का यह भारी भरकम जखीरा आया कहां से है। माना यह भी जाता है कि यह क्षुद्रग्रह हमारे सौर मंडल की उपत्ति के बाद बचा हुआ मलवा है।
क्या यह मलवा टूटे हुए ग्रह का है?
यह मलवा किसी टूटे हुए ग्रह का है। मगर इस बेशुमार मलवे का विश्लेषण करने के बाद पता चलता है कि यदि इस बेल्ट में फैले मलवे को जोड़ दिया जाय तो फिर भी यह एक ग्रह नहीं बन सकता है, बल्कि बौने ग्रह प्लूटो का बमुश्किल आधा द्रव्यमान के बराबर ही होगा। शोधकर्ता वैज्ञानिक एस्ट्रोफिजिसिस्ट स्टीफन केन ने यह शोध किया है। जिसमें बताया कि इस अध्ययन से मलवे के आकार भी ज्ञात होता है। साथ ही बताया है कि पृथ्वी चार स्थलीय ग्रहों में सबसे विशाल है और नेप्च्यून चार विशाल गैसीय ग्रहों में सबसे कम द्रव्यमान वाला है। फिर भी नेपच्यून पृथ्वी से 17 गुना अधिक बढ़ा है , साथ ही चार गुना चौड़ा भी है।
दूसरे सौर मंडल के ग्रहों के लिए महत्त्वपूर्ण है यह शोध
केन का यह शोध इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि इससे दूसरे सौर मंडलों में ग्रहों पर जीवन के फलने-फूलने या जीवन न होने को लेकर प्रकाश डाल सकता है। इससे यह भी पता चलता है कि पृथ्वी जैसे ग्रहों या सुपर-अर्थ के करीब मौजूद विशाल बृहस्पति ग्रह का द्रव्यमान के कारण किस तरह से प्रभावित हो सकता है।
श्रोत: अर्थस्काई।
फ़ोटो: नासा।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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