मंगल पर मानव कान आकृति ने हैरत में डाला

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मंगल पर मानव कान की आकृति ने हैरत में डाला
लाल ग्रह मंगल से जीवन का कोई संबंध रहा है ? ये पहेली आज भी बरकरार है और इस राज को जानने के लिए दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां दिन रात काम कर रही है। बहरहाल वैज्ञानिकों में सबसे बड़ी चुनौती मंगल पर मानव बस्ती बसाने की है। खैर अतीत या भविष्य जो भी हो वर्तमान में मंगल की धरती पर एक मानव कान की छवि को नासा ने दिखाया है।
ये तस्वीर खास है
इस तरह की तस्वीर मंगल पर बनी कैसे होगी। इसका अंदाजा लगाने में वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। बहरहाल माना जा रहा है कि यह तस्वीर एक गड्ढा है, जो किसी एस्टीरॉयड के टकराने से बना होगा।
18 सौ मीटर लंबा है यह गड्ढा
नासा ने यह गड्ढा लगभग 1,800 मीटर लंबा बताया  है।  इतना बड़ा गड्ढा हैरान करने वाला है। जब यह मंगल की सतह से टकराया होगा, तब मंगल का वातावरण किस तरह का हुआ होगा। ये अपने आप में बड़ी बात है। यह आकृति मंगल की सतह पर किसी  अज्ञात पिंड के टकराने से इंसानी चेहरे का भ्रम पैदा करती है।
चौका देने वाली तस्वीर पेश करते रहा है नासा
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने हाल ही में मंगल की सतह की  कई अनोखी तस्वीरें जारी की हैं। इसमें इस मंगल ग्रह पर बने गड्ढे की तस्वीर लोगों का ध्यान खींचा है।  ऐसे में सोशल मीडिया पर इस तस्वीर को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
सोसल मीडिया में एलियंस बताया जा रहा इस तस्वीर को
 सोसल मीडिया यूजर्स का मानना ​​है कि इसे एलियंस ने बनाया है, जबकि कई लोगों का कहना है कि यह एक प्राकृतिक बनावट है। यह तस्वीर नासा के हाई-टेक मार्स रिकोनिसेंस ऑर्बिटर से ली गई है। यह ऑर्बिटर 2006 से मंगल की परिक्रमा कर रहा है। मार्स टोही ऑर्बिटर की छवि के अनुसार मंगल ग्रह की सतह पर दिखा है।
मंगल के उत्तरी गोलार्ध में है ये क्रेटर
यह क्रेटर मंगल के उत्तरी गोलार्ध में क्रिस प्लैनिटिया में स्थित है। इसे इम्पैक्ट क्रेटर बताया जा रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि यह गड्ढा किसी ज्वालामुखी से नहीं बल्कि अंतरिक्ष में किसी पिंड के टकराने से बना है। वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि यह आकृति मंगल की सतह पर उस अज्ञात पिंड के टकराने से ही बनी होगी।
ये भी जान लीजिए
कुछ दिन पहले मंगल ग्रह पर एक धागे जैसी चीज देखी गई थी। कुछ लोगों ने इसे घास कहा तो कुछ लोगों ने भी कहा यो चाउमीन जैसा है।  हालांकि बाद में नासा ने बताया था कि जब भी कोई विमान पृथ्वी से मंगल ग्रह पर भेजा जाता है तो पैराशूट के जरिए उतरने के बाद सतह के टकराने से काफी मात्रा में कचरा फैल जाता है। लैंडिंग साइट पर यह चारों ओर गंदा हो जाता है। ऐसे में माना जा रहा है कि मंगल की सतह पर धागे जैसी कोई चीज भी पैराशूट के कचरे का हिस्सा हो सकती है।
भारत का मार्स ऑर्बिटर मंगल की टोह ले चुका है
अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत दुनिया में अपनी खास जगह बना चुका है। इसकी एक वजह आठ साल पहले भेजे मार्स ऑर्बिटर भी है। मार्स ऑर्बिटर को मंगल के ऑर्बिट में स्थापित कर पाना सबसे बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती को पार कर भारत दुनिया की नजरों में आ गया और देश की खास पहचान बना गया।

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