भयानक सौर तूफान हैं बड़ा आकाशीय खतरा

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कुशलता का सबूत दिया आदित्य एल 1 ने

आदित्य एल 1 ने अपनी कुशलता और कार्य क्षमता का पहला सबूत सेल्फी के रूप में दे दिया है। सेल्फी में पृथ्वी मनमोहक रंग के साथ नजर आ रही है। यह तस्वीर भारतीय खगोलविदों की उन्नत तकनीक को दर्शाती है। साथ ही बताती है कि भारत भविष्य में अन्तरिक्ष मिशन के क्षेत्र में ऊंचाई पर छलांग लगाने वाला है। जिसका प्रमाण अगले महीने मिल जाएगा। भारतीय अंतरीक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो ) अगले माह गगन यान के परीक्षण मिशन लॉन्च करने जा रहा है।

मिनी आइस ऐज का पूर्वानुमान बताएगा आदित्य एल 1

आदित्य एल 1 को बहुआयामी बनाया गया है। जिसमें मिनी आइस एज का पूर्वानुमान लगाने के लिए उपकरण लगाए गए हैं। मगर इसके बारे में अभी कुछ कहना मुश्किल है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सम्भवतः पृथ्वी पर आने वाले मिनी आइस ऐज का पूर्वानुमान बताने में आदित्य सहायक होगा। एटमास्फेयरिक साइंस के लिए यह मिशन प्रभावी साबित होगा। पृथ्वी के वायुमंडलीय गैस का डेटा जुटा पाएगा। वायुमंडलीय विज्ञानी डेटा से अध्ययन कर सकेंगे।

भयानक सौर तूफान हैं बड़े आकाशीय खतरे

भले ही क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं को पृथ्वी का बड़ा खतरा मानते हों, लेकिन इससे भी बढ़ा खतरा आसमान से आने वाले भू चुम्बकीय हैं। सौर तूफान पृथ्वी ही नही बल्कि आसमान में विचरते हमारे सैटेलाइट के लिए भी हैं, जो पलक झपकते ही खत्म हो सकते हैं। इनसे बचाव के लिए नासा और ईसा ने 1995 में सोहो को लैगरेंज पर स्थापित किया था और अब भारत ने आदित्य एल 1 भेजा है, जो अपने सफर पर आगे बढ़ रहा है। सौर तूफान के खतरे से सुरक्षा के लिए पृथ्वी में भी कई सोलर टेलेस्कोप स्थापित की गई हैं, पृथ्वी के लोवर ऑर्बिट में भी कई अंतरिक्ष यान सौर तूफानो से बचाव का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

पिछले एक दशक में भारत अन्तरिक्ष के क्षेत्र में आधा दर्जन उपलब्धियां हासिल कर चुका है। सिर्फ दस साल के अन्तराल में यह कामयाबियां भारत जैसे विकासशील देश की क्षमता का पुख्ता प्रमाण है। इसरो ने 2013 में मार्स ऑर्बिटर मिशन मंगलयान लॉन्च किया था। इसके बाद 2016 में 3. 6 मीटर की ऑप्टिकल टेलेस्कोप स्थापित करने में सफल रहा। इसके तीन साल बाद इसरो ने एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च करने का रिकार्ड बनाया। 2019 में चन्द्रयान 2 लॉन्च किया । हालाकि यह मिशन 50 फीसद ही सफल हो पाया। मिशन का ऑर्बिटर आज भी अपना कार्य कर रहा है। इसके बाद 4 मीटर व्यास की लिक्विड दूरबीन स्थापित की गई। इसके बाद पिछले माह चन्द्रयान 3 की दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की गई। इसके कुछ ही दिन बाद आदित्य एल 1 लॉन्चिंग ने भारत को एक बड़े स्थान पर लाकर खड़ा कर दिया।
श्रोत : एरीज।
फ़ोटो: इसरो।


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