मंगल पर उठते हैं भयानक बवंडर 

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मंगल पर उठते हैं भयानक बवंडर 
लाल ग्रह मंगल पर जबरदस्त बवंडर उठते हैं, हो कई किलोमीटर ऊपर अपना तांडव मचाते हैं। ये अदभुत खोज हैं। मंगल की धरती पर उठने वाले इन बवंडर को वैज्ञानिकों ने शैतान का नाम दिया है। ये बवंडर वैसे ही हैं, जैसे की पृथ्वी की सतह पर उठते हैं। ये जहां से भी गुजरते हैं, तबाही के निशान तक नहीं छोड़ जाते हैं। इसीलिए यह इन्हे शैतान कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी। ये तो शुक्र है कि मंगल पर जीवन नहीं। अगर होते तो सम्बावतः इनसे बचाव के इंतजाम पहले करते। अब मानव का दूसरा घर मंगल की धरती पर बसाने की बात करें तो निःसंदेह इस शैतान से सुरक्षा करनी होगी।
आठ किमी ऊंचे उठते हैं ये बवंडर
एक मार्स रोवर ने मंगल की सतह पर पहली बार नाचते हुए धूल के इन बवंडरो को देखा था। यह बवंडर मंगल ग्रह पर गर्मी के दौरान सबसे अधिक सक्रिय होते हैं। ये 8 किमी तक ऊंचे उठते हैं।मंगल का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक इस रेगिस्तानी दुनिया के बड़े क्षेत्रों को पार करते हुए धूल के शैतानों के निशान देखते हैं। इन बवंडरो को दूरबीन से भी देख सकते है।
पृथ्वी के समान हैं मंगल के बवंडर
यह बवंडर मंगल ग्रह के रेगिस्तानी हिस्से में उठते हैं। ये धूल से भरे होते हैं । धूल के इन छोटे बवंडर को वर्ष के कुछ निश्चित समय में देख पाना आम बात है। पृथ्वी के समान ही मंगल बवंडर हैं। इनमें कोई खास अंतर नही हैं। तस्वीरों में इन बवंडरो को साफ देखा जा सकता है। भले ही तस्वीरों में देखने में सुंदर नजर आते हों, लेकिन इनकी भयावहता को कौन नहीं जानता।
वैज्ञानिकों ने इसी माह खोला इस आपदा का राज
  दिसंबर 2022 को वैज्ञानिकों ने मगंल के बवंडर का राज खोला और बताया कि पहली बार मार्स रोवर पर्सिवरेंस ने धूल से भरे बवंडर को देखा और सुना है। बवंडर रोवर के ऊपर से गुजरा था। B धूल और कंकड़ की आवाजों को रोबर ने रिकार्ड किया है। हालाकि उसे इनसे कोई खतरा नहीं था और ना ही कोई नुकसान पहुंचा।
इसी माह प्रकाशित हुआ शोध 
शोधकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम ने 13 दिसंबर, 2022 को नेचर कम्युनिकेशंस में मार्स डस्ट डेविल की नई कैप्चर की गई ध्वनि से संबंधित शोध प्रकाशित किया। नासा के ग्रह वैज्ञानिक नाओमी मर्डोक और नेशनल हायर फ्रेंच इंस्टीट्यूट ऑफ एरोनॉटिक्स एंड स्पेस के नेतृत्व यह रिसर्च की गई।
उन्नत तकनीक से खुल रहे मंगल के रहस्य
वास्तव में उन्नत तकनीक के चलते मंगल के नित नए रहस्य सामने आ रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि हम कुछ अन्य उपकरणों की तुलना में ध्वनि का उपयोग करके बहुत कुछ सीख सकते हैं। वे नियमित अंतराल पर रीडिंग लेते हैं। माइक्रोफ़ोन हमें नमूना लेने देता है और प्रति सेकंड लगभग 100,000 बार सुन सकते हैं। । इससे हमें मंगल को समझने में अधिक मदद मिलती है । पृथ्वी की तरह ही मंगल पर भी अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग मौसम होता है।  उपकरणों ,  माइक्रोफ़ोन का उपयोग करने से जान सकते हैं और बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।
मंगल में तेज हवा की 40 किमी प्रति घंटा
लालग्रह पर तेज हवा की गति 40 किलोमीटर प्रति घंटा तक चलती है। पृथ्वी व मंगल में अंतर यह है कि मंगल में हवा का दबाव इतना कम है कि हवाएं उतनी ही तेज होती हैं, जितना दबाव लगभग 1% दबाव के साथ धकेलती हैं, लेकिन  उतनी ही हवा की गति से वापस आती है। यह एक शक्तिशाली हवा नहीं है, लेकिन स्पष्ट रूप से  बवंडर बनाने के लिए धूल के कणों को हवा में उछालने के लिए पर्याप्त है।
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स्रोत: मंगल ग्रह के धूल शैतान की आवाज।
फोटो: नासा पृथ्वी वेधशाला के माध्यम से छवि।

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