26 जनवरी को करीब आ रही आसमानी आफत

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26 जनवरी को करीब आ रही आसमानी आफत

गुरुवार यानी 26 जनवरी को एक आसमानी आफत पृथ्वी के करीब आ रही है। यह एक क्षुद्रग्रह है, जो धरती के बेहद करीब से होकर गुजरने वाला है। बहरहाल चिंता की कोई बात नही। इसके पृथ्वी से टकराने की कोई आशंका नही है। मगर इसके टकराने को लेकर सोशल मीडिया में भ्रम फैलाया जा रहा है, जो बेबुनियाद है। खगोल वैज्ञानिको ने इसकी पृथ्वी से मुठभेड़ को सिरे से नकार दिया है। लिहाजा इस आकाशीय पिंड से भयभीत होने की कोई जरूरत है। वैज्ञानिकों ने इस पिंड को खतरनाक श्रेणी में रखा है। भविष्य मे शायद कभी ये पृथ्वी से टकरा जाए। मगर फिलहाल अभी इसके टकराने की कोई संभावना नहीं है। इस एस्टीरॉयड का आकार पांच मीटर है।

10 हजार किमी दूर से गुजरेगा

इस क्षुद्रग्रह ग्रह को इसी वर्ष पहली बार देखा गया और इसका नाम2023 बीयू है। 26 जनवरी, 2023 को दोपहर 2:15 बजे यानी भारतीय समय के 7.45 बजे पृथ्वी के बहुत करीब आ जाएगा। हाल ही में खोजा गए इस पिंड का आकार में लगभग पांच मीटर का है। पृथ्वी के करीब आने पर चंद्रमा की औसत दूरी के 3% से भी कम होगी। अंकों में 10 हजार किमी रह जाएगी। यह दूरी सुरक्षित है। लिहाजा यह अपने पाथ पर आगे निकल जाएगा। पृथ्वी के निकट आ रहे इस पिंड को नग्न आंखों से नही देखा जा सकेगा, लेकिन वर्चुअल टेलीस्कोप प्रोजेक्ट इस खगोलीय घटना को ऑनलाइन लाइव दिखाने जा रहा है।

क्षुद्रग्रह 2023 बीयू की खोज शनिवार को हुई

जी. बोरिसोव ने 21 जनवरी, 2023 को इसे देखा। इसका आंकलन करने से पता चला कि नियर अर्थ पिंड है। यानी इससे सावधान रहने की जरूरत है। इस क्षुद्रग्रह का व्यास 12 से 28 फीट (3.7 – 8.2 मीटर) के बीच है। तभी पता चला कि पृथ्वी से इसकी न्यूनतम दूरी के साथ 26 जनवरी को हमारे करीब होगा और पृथ्वी के ऊपर से उड़ान भरते हुए निकल जाएगा।

क्षुद्रग्रह पृथ्वी के सबसे बड़े दुश्मन हैं

न जाने कितनी बार पृथ्वी को क्षति पहुंचा चुके हैं। जिनके घाव पृथ्वी के कई हिस्सों में आज भी नजर आते हैं। इनसे टकराने की संभावना बनी रहती है।।जिस कारण वैज्ञानिक हमेशा इन पर नजर रखे रहते हैं। वैज्ञानिक अभी तक ऐसे हजारों पिंडों का पता लगा चुके हैं। इनकी दिशा का हमेशा आंकलन किया जाता है। ताकि पृथ्वी से टकराने से बचने के लिए समय रहते उपाय खोजा जा सके।

बहुत छोटे पिंडों का पता लगा पाना मुश्किल

हमारे सौर मंडल में छोटे बड़े अनगिनत पिंड हैं। ये पिंड अक्सर हमारे ग्रहों पर टकराते रहते हैं। ये कभी भी सामने आ जाते हैं। बहुत छोटे आकार के पिंडों को देख पाना आसान नहीं होता है। जब वह हमारे बहुत करीब पहुंच जाते हैं तो तभी इनका पता चल पता है। दस मीटर से बड़े पिंडों का जल्द पता चल जाता है। इन्ही पिंडों से खतरा होता है। यदि 10 मीटर से छोटे हों तो वह पृथ्वी के वातावरण में आते ही जल जाते हैं। इसके बावजूद पिंड का जलता हुआ टुकड़ा पृथ्वी से टकरा सकता है और नुकसान पहुंचा सकते है।

बचा जा सकता है धरती के इन दुश्मनों से

आधुनिक विज्ञान इतना उन्नत हो चुका है कि इस तरह की आसमानी आफत से बचा सकता है। इनसे बचाव के लिए रॉकेट के जरिए पिंड के असमान में ही टुकड़े किए जा सकते हैं। मगर वैज्ञानिक इस उपाय को ज्यादा सुरक्षित नहीं मानते। इसके सुरक्षित उपाय है कि पिंड के साथ एक अंतरीक्ष यान भेज दिया जाय, जो पिंड के मार्ग की दिशा बदल दे। इस विधि को नासा आजमा कर एक सफल परीक्षण कर चुका है। कुछ माह पहले डार्ट मिशन के जरिए क्षुद्रग्रह का मार्ग बदल दिया था। मानव इतिहास में यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।

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श्रोत: अर्थ स्काई

फोटो: नासा


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