GW170817 – दो न्यूट्रॉन तारों के बीच टक्कर हुआ भयानक विस्फोट 

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GW170817 –  दो न्यूट्रॉन  तारों के बीच टक्कर में भयानक विस्फोट

ब्रह्माण्ड अजूबा है। इसके गर्भ में भयानक और अद्भुत घटनाएं कब हमें चौंका दे,  वैज्ञानिकतंत्र भी नहीं जानता। अब एक ऐसी ही चौंकाने वाली घटना सुदूर अंतरिक्ष में हुई है, जिसने अंतरिक्ष के वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया है। इस घटना में दो न्यूट्रॉन तारों के बीच जबरदस्त टक्कर हुई है। इस शक्तिशाली टक्कर में सुपर-फास्ट जेट को बाहर निकलते देखा गया। जिसकी गति प्रकाश की गति से 99.97% से अधिक थी। प्रकाश की गति से भी अधिक रफ्तार भला कैसे हो सकती है।  यह वास्तव में हैरान करने वाली घटना थी,  जबकि भौतिकी के ज्ञात नियमों के अनुसार कोई भी वस्तु प्रकाश से तेज गति से यात्रा नहीं कर सकती है। और किसी भी अंतरिक्ष वस्तु को प्रकाश की गति के करीब भी कहीं भी गति से यात्रा करते हुए देखना दुर्लभ है। हालांकि ब्लैक होल, पल्सार और क्वेजार की घटनाओं में सापेक्ष जेट कभी कभार ही लगभग इतनी तेजी से आगे बढ़ते हैं। खगोलविदों ने कहा कि  सुपर-फास्ट जेट था। जिसने प्रकाश की गति को भी पीछे छोड़ दिया। मगर गहन अध्ययन के बाद इस गति की सच्चाई का पता चला, जो मात्र एक भ्रम था।

भौतिकी में भारतीयों को गर्व सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर
*नाव मे यात्रा कर सोचा तारों का विकासक्रम*
*न्यूट्रॉन तारों के सिद्धांत के लिए भारतीय वैज्ञानिक को मिला नोबेल पुरस्कार*
 सन 1930 मे 19 साल का एक युवा मुंबई से भौतिकी मे एमए कर कैम्ब्रिज मे शोध के लिए इंग्लैंड जा रहा था, जहाज मे सवार यात्रा के दौरान रास्ते मे वह तारो की किताबें पढ़ते हुए सोच रहा था कि तारो का अंत किस तरह होता है। यात्रा के दौरान ही सोचते-सोचते वह इस निष्कर्ष मे निकले कि सभी तारे अंत मे सफेद बौने ( वाइट ड्राफ्ट) नहीं बनेंगे, जिन तारों मे हमारे सूर्य से तीन चार गुना अधिक द्रव्यमान है तो अंततः उस न्युट्रान तारे मे विस्फोट होगा औऱ जिनमे सूर्य से 10 गुना या उससे भी अधिक द्रव्यमान है वो न्युट्रान तारे से भी अधिक सघन पिंड बन जाएंगे। 1935 मे उन्होंने तारों के विकासक्रम मे ठोस सिद्धान्त दिया।। खगोल मे तारो की नई जानकारी मे क्रांति लाने वाले  *भारतीय तरुण युवा  का नाम सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर था। इस खोज के लिए उन्हें 1983 मे भौतिकी का नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया* था।
इस घटना को दुनिया की 70 दूरबीनों ने देखा 
यह एक असाधारण टक्कर थी। जिसकी पुष्टि के लिए 70 वेदशलाओं से देखा गया और  इसके परिणाम को सामूहिक रूप से दुनिया भर के अनेक वैज्ञानिक शामिल हुए। जिसमें  गुरुत्वाकर्षण तरंग का पता लगाने के अलावा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम की भी जांच की गई। तमाम अध्ययनों के बाद यह शोध पीयर-रिव्यू जर्नल नेचर में प्रकाशित किया गया।
 अंतरिक्ष दूरबीन हबल का रहा बड़ा सहयोग
विस्फोट में निकले जेट की गति को मापने के लिए हबल स्पेस टेलीस्कोप का इस्तेमाल किया गया। जिससे पता चला कि यह दो न्यूट्रॉन सितारों के टकराने पर अस्तित्व में आया। उन्होंने इस घटना को GW170817 नाम दिया गया।  इस टक्कर से निकली ऊर्जा सूर्य के अरबों वर्षों के जीवनकाल में विकिरण की तुलना में कुछ सेकंड में अधिक ऊर्जा का उत्सर्जन कर सकती है। इस घटना को लेकर यह टिप्पणी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने की है।
खगोलविदों ने पहली बार अगस्त 2017 में इस टक्कर को देखा था
वैज्ञानिकों ने सबसे पहले इस घटना को 2017 में देखा। इस घटना की गंभीरता को देखते हुए वाज्ञानिकों ने दो दिन बाद हबल टेलीस्कोप का सहारा लेना पड़ा। तब देखा गया कि दो न्यूट्रॉन तारे एक ब्लैक होल में समा गए, जो शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण सामग्री को अपनी ओर खींचने लगी और उसकी  सामग्री ने एक तेजी से घूमने वाली डिस्क बनाई।  जिसने जेट को अपने ध्रुवों से बाहर की ओर ले गया। एक जेट ने विस्फोट के मलबे की सामग्री में जबरदस्त तोड़फोड़ मचाई और एक जेट बाहर निकल गया। इस घटना को हबल अवलोकन को बहुत लंबे बेसलाइन इंटरफेरोमेट्री (वीएलबीआई) के लिए एक साथ काम करने वाले कई राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन रेडियो दूरबीनों के अवलोकनों के साथ जोड़ा गया था। जिसका रेडियो टेलीस्कोप से भी देखा किया गया।
हबल टेलीस्कोप का सटीक जांच 
नेचर पेपर के प्रमुख लेखक, पासाडेना, कैलिफोर्निया में कैलटेक के कुणाल पी. के अनुसार  हबल हमें इतना सटीक माप दे सकता है, यह वास्तव में हैरान करने वाला है। यह वास्तव में दुनिया भर में फैले शक्तिशाली रेडियो वीएलबीआई टेलीस्कोप द्वारा हासिल की गई सटीकता को टक्कर देता है। इसकी सटीक प्रामाणिकता की जांच के लिए वीएलबीआई के अलावा, ईएसए (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी) गैया उपग्रह के डेटा के साथ हबल डेटा का उपयोग किया। तमाम दृष्टिकोण से जांच पड़ताल करने में कई महीनों लग गए।
 सुपरल्यूमिनल मोशन यानी इस घटना में प्रकाश से अधिक गति मात्र एक भ्रम है
 जेट लगभग प्रकाश की गति से पृथ्वी के पास आ रहा है, इसलिए बाद में जो प्रकाश उत्सर्जित करता है, उसकी दूरी कम होती है। संक्षेप में जेट अपने ही प्रकाश का पीछा कर रहा है। वास्तव में, प्रेक्षक के विचार से जेट के प्रकाश के उत्सर्जन के बीच अधिक समय बीत चुका है। इससे वस्तु के वेग को कम करके आंका जाता है – इस मामले में प्रकाश की गति से अधिक प्रतीत होता है। इस घटना को खगोलविद इसलिए उत्साहित हैं कि भविष्य में दो उभरते और परस्पर संबंधित क्षेत्रों के लिए काम के साथ टाइम डोमेन एस्ट्रोनॉमी यानी यह अध्ययन करना कि समय के साथ अंतरिक्ष की वस्तुएं कैसे बदलती हैं। इसके अलावा लावा  प्रकाश और गुरुत्वाकर्षण तरंगें व खगोलीय वस्तु या घटना का अध्ययन करने में मदद मिलेगी।
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कलाकार की 2 न्यूट्रॉन सितारों के टकराने और विकिरण के सुपर-फास्ट जेट को छोड़ने का प्रतीकात्मक चित्र । गर्जन जेट – जिसका पदार्थ प्रकाश की गति से लगभग गति कर रहा है। एलिजाबेथ व्हीटली / नासा के माध्यम से छवि।
स्रोत: न्यूट्रॉन-स्टार विलय GW170817 . में ऑप्टिकल सुपरल्यूमिनल मोशन मेजरमेंट व
हबलसाइट के माध्यम से

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