ग्लोबल वार्मिंग : वैश्विक गर्मी ने तोड़ डाले पिछले सारे रिकॉर्ड  

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लेखक : बबलु चंद्रा

सिर्फ एक वर्ष में  वैश्विक पारा  .01 डिग्री सेल्सियस बढ़ा
       इस खबर से  मौसम के जानकारों के माथे में पसीना टपकने लगा है। सिर्फ एक साल में औसत ग्लोबल वार्मिंग ने 0.01 डिग्री सेल्सियस उछाल मारा है। देखने मे यह पारा  भले ही मामूली प्रतीत हो रहा हो, लेकिन इतना खतरनाक है कि इसकी गंभीरता को शायद ही कोई आम इंसान समझ सके।
 पिछले 100 साल में वैश्विक ताप 1.5 डिग्री सेल्सियस
         पिछले करीब सौ साल में ग्लोबल वार्मिंग में  तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। यह औसत तापमान है। 100 सालों में कहीं दुनिया के कुछ हिस्सों में कंही औसत 1 से 10 डिग्री सेल्सियस पारा बढ़ा है तो माइनस में रहने वाले क्षेत्रों में भी वृद्धि दर्ज की गई है। यह बेहद खतरनाक है।
21 जुलाई ने बनाया इतिहास, तोड़ डाले सारे रिकॉर्ड
       21 जुलाई की गर्मी ने इतिहास के पिछले सारे
 रिकार्ड तोड़ डाले।  यह पृथ्वी पर वर्ष का ही नही बल्कि अतीत का भी सबसे गर्म दिन रहा। मौसम विशेसज्ञ हैरान हैं। इसकी वजह समझने में अब कुछ बचा नही है।
असफल साबित रहा पेरिस समझौता
        ग्लोबल वार्मिंग पर को 1.5 डिग्री पर रोकने के लिए 2015 में विश्व के देशों के बीच अनुबंध हुआ था कि वैश्विक ताप को डेढ़ डिग्री से ऊपर नही चढ़ने दिया जाएगा। मगर 9 साल बीतने के बाद भी इसे कम कम करने के बजाय , तय सीमा पार पहुचा दिया। यह चिंताजनक ही नही बल्कि अत्यंत गंभीर मसला है।
अब 2 डिग्री निर्धारित हुआ अगला लक्ष्य
    इस सदी के अंत तक वैश्विक औसत ताप को हमे 2 डिग्री सेल्सियस पर रोकना होगा। भले ही कोशिश इसे डेढ़ डिग्री से कम करने की हो, लेकिन कम न भी कर सकें तो निर्धारित लक्ष्य पर तो विराम लगाना सुनिश्चित करना ही पड़ेगा। अगर ऐसा नही हुआ तो भविष्य के पीढ़ियां हमे कोसेंगी ही नही बल्कि धरती का दुश्मन समझेगी।
विकास को लेकर हो रहा पर्यवारण का सत्यानाश
      विकास के नाम पर्यवारण का सत्यानाश किया जा रहा है। पर्यवारणविद्द यही मानते हैं। वास्तव में विकास हमे किस गर्त में धकेल रहा है, इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल नही है, मगर समझना आमजन के बस से बाहर है। दुनिया के सभी देशों के प्रमुखों को आगे आकर भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। तभी कोई सार्थक हल निकल पाएगा।
विश्व का औसत ताप 17.09 ℃
      सी3एस के जारी आंकड़े के अनुसार इस वर्ष  21 जुलाई को औसत वैश्विक तापमान 17.09℃ रहा।  गत वर्ष जुलाई 2023 में 17.08℃ रिकार्ड किया गया था।  सिर्फ एक वर्ष के अंतराल में .01 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि बेहद चिंताजनक ही नही खतरनाक भी है। इससे पूर्व 2016 में वैश्विक औसत तापमाम 16.8 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया था। इस आंकड़े से विश्व के पर्यवारण को समझा जा सकता है।
 कोपर्निकस जलवायु परिवर्तन सेवा यूरोपीय संघ की रिपोर्ट
   कोपर्निकस जलवायु परिवर्तन सेवा ने ताजा आंकड़े जारी किए हैं।  यह संस्था 1940 से पृथ्वी के जलवायु पैटर्न पर नज़र रख रही है। इस संस्था को सी3एस के नाम से भी जाना जाता है। सी3एस  के मुताबिक 21 जुलाई कम से कम 20वीं सदी की शुरुआत के बाद से पृथ्वी पर सबसे गर्म दिन का नया रिकॉर्ड  है। साथ ही पिछले 13 महीनों के तापमान में भी खासा अंतर प्रदर्शित किया है।
श्रोत: कोपर्निकस जलवायु परिवर्तन सेवा यूरोपीय संघ की रिपोर्ट

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