भूतिया तस्वीर खोलेगी आकाशगंगा की उत्पत्ति का रहस्य

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अब पता चलेगा आकाशगंगा के जन्म का राज,
JWST ने ली आकाशगंगा समूहों की भूतिया तस्वीर
जेम्स वेब टेलीस्कोप ने अनंत दूर अंतरीक्ष में एक ऐसी अंधेरी तस्वीर को कैमरे में कैद किया है, जो  आकाशगंगा समूहों का बड़ा झुंड है। जिसे वैज्ञानिक भूत की रोशनी बोल रहे हैं। यह तस्वीर काली है, जिसके बीच बीच में कई स्थानों में सफेद रोशनी दिखाई दे रही  है। कई आकाशगंगाओं के इस श्याम श्वेत तस्वीर को भूतिया कहा जा रहा हो, लेकिन सच्चाई यह है कि इस तस्वीर से ब्रह्माण्ड की उन रहस्यों का राज खुल सकता है, जिनसे हम आज भी अनभिज्ञ हैं। जिसमें डार्क मैटर शामिल है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तस्वीर के जरिए हम ब्रह्माण्ड की सबसे बड़ी शक्ति डार्क मैटर को शायद समझ सकें। इसके अलावा आकाशगंगाओं की उत्पत्ति को समझ पाने में भी मदद मिल सकती है।
कलस्टर SMACS-J0723.3-7327 
 यह  SMACS-J0723.3-7327 नामक क्लस्टर है, पृथ्वी से  लगभग 4 बिलियन प्रकाश-वर्ष दूर स्थित है। वेब टेलिस्कोप ने इसे अपने नियर इन्फ्रारेड कैमरा (NIRCAM) से कैप्चर किया। और Instituto de Astrofísica de Canarias की एक टीम ने इस फीकी रोशनी को बेहतर ढंग से देखने के लिए डेटा को प्रोसेस किया।
आकाशगंगा समूहों में भूतिया प्रकाश
स्पेन के कैनरी द्वीप समूह में इंस्टीट्यूट डी एस्ट्रोफिसिका डी कैनरियास के अनुसार  दूर के आकाशगंगा समूहों में भूतिया प्रकाश के विभिन्न समय का विश्लेषण कार्य होने के बाद कहा कि खगोलविद इसे इंट्राक्लस्टर लाइट कहते  हैं, यानी आकाशगंगाओं के बीच का प्रकाश है।आकाशगंगा समूहों में तारों का एक अंश है जो अंतरिक्ष में भटकते हैं क्योंकि वे विशाल ज्वारीय बलों द्वारा चीर दिए जाते हैं,  जो क्लस्टर में विभिन्न आकाशगंगाओं के बीच उत्पन्न होते हैं। इन तारों की चमक को इंट्राक्लस्टर लाइट (ICL) कहा जाता है। और यह अत्यंत धुँधला है, पृथ्वी से देखे जा सकने वाले सबसे गहरे आकाश की चमक का केवल 1% या उससे भी कम है।
पहली बार सक्षम हुए भूतिया प्रकाश की जांच को
 
पहली बार खगोलविद इस भूतिया प्रकाश का अध्ययन करने में सक्षम हैं।  इन्फ्रारेड में ब्रह्मांड को देखने की वेब की क्षमता इसे ऑप्टिकल टेलीस्कोप का उपयोग करके पहले की तुलना में आकाशगंगा क्लस्टर के केंद्र से दूर जानकारी एकत्र करती है। क्लस्टर, निर्दिष्ट SMACS-J0723.3-7327 हमसे 4 बिलियन प्रकाश-वर्ष दूर है, जो पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध से दिखाई देने वाले आकाश में वोलन द फ़्लाइंग फ़िश नक्षत्र की दिशा में स्थित है।  इस क्लस्टर के केंद्र की वेब छवियां हबल स्पेस टेलीस्कॉप से ​​​​पिछली छवियों की तुलना में दोगुनी अच्छी हैं।
 आकाशगंगा समूहों के निर्माण की प्रक्रिया और डार्क मैटर के गुणों का पता चलेगा
वाज्ञानिकों ने कहा  अब हम ब्रह्माण्ड में आकाशगंगा समूहों  और दूर की अकाशगंगाओं का विस्तृत व विस्तार से अध्ययन कर सकेंगे। इससे आकाशगंगा समूहों के निर्माण की प्रक्रिया और डार्क मैटर के गुणों को लेकर नई दिशा और जानकारी मिल सकेगी। शोधकर्ताओं का कहना है  कि इस अत्यंत कमजोर, भूतिया प्रकाश का विश्लेषण करने के लिए उन्हें नई विश्लेषण तकनीकों का विकास करना पड़ा। यह अध्ययन अकशगंगाओं समूहों के रूप में बड़े पैमाने पर संरचनाओं के निर्माण में शामिल प्रक्रियाओं का अध्ययन करने और समझने में सक्षम करेगा।
एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित
पीयर-रिव्यू एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स ने 1 दिसंबर को इस नए अध्ययन को प्रकाशित हुआ है। इस विसरित प्रकाश का विश्लेषण करने पर पता चल पाया कि विशाल आकाशगंगाओं के विलय से समूह के आंतरिक भाग बन रहे हैं। इसके बीच व बाहरी भाग हमारी मिल्की वे के समान आकाशगंगाओं के अभिवृद्धि के कारण हैं।
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स्रोत: JWST के साथ इंट्राक्लस्टर लाइट स्टडीज का एक नया युग
फोटो: NASA/ESA/CSA/STScI/IAC के माध्यम से छवि।

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