आकाशगंगा में भूतिया कण मिलने से हर कोई हैरान
बात ही हैरान करने वाली है। क्या भूत जैसा भी कोई कण हो सकता है? जरूर हो सकता है। जिसे वैज्ञानिकों ने खोज निकाला है। इसका व्यवहार ही कुछ ऐसा है। जिस कारण इसे भूतिया नाम दे डाला। कुछ वर्ष पहले भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जब ईश्वरीय कण की खोज हुई थी। ईश्वरीय कण की खोज भी ऐतिहासिक खोज थी। मगर ईश्वरीय कण का पहला नाम हिग्स बोसोन था। सर्न की महा मशीन में इस कण की पुष्टि हुई थी, जबकि यह एटम 70 के दशक में खोज लिया गया था। बहरहाल भूतिया कण का नाम उसके भूत जैसे मायावी व्यवहार के कारण दिया गया है। लिहाजा हैरान होने की जरूरत नहीं है। यदि स्वर्ग है तो नर्क भी हो सकता है। मगर सिद्ध होना चाहिए और यह काम वैज्ञानिकों का है। जिसे अथक परिश्रम कर बखूबी अंजाम दे रहे हैं।
दरअसल ब्रह्माण्ड की नित नई खोज एक नई दिशा दे जाती है और नया आयाम सामने ला खड़ा करती है। अब जो नई खोज हुई है, वह अद्भुत कण है, जिसे वैज्ञानिकों ने भूतिया कण( घोस्ट एटम)नाम दिया है। हमारी मिल्की – वे में इस कण को पहली बार देखा गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह खोज भौतिक विज्ञान को नई दिशा दे सकती है।
यह खोज अद्भुत व ऐतिहासिक है। खोजे गए कण को भूत नाम देना, इसके भूतिया स्वभाव को उजागर करता है। खगोलविदों ने हमारी आकाशगंगा के भीतर से आने वाले उच्च-ऊर्जा न्यूट्रिनो का पता लगाया है, जो संभावित रूप से अनुसंधान की एक रोमांचक दिशा प्रदान कर रहा है। न्यूट्रिनो को पहचानना असाधारण रूप से कठिन है, क्योंकि वे शायद ही कभी परमाणुओं से टकराते हैं। एक प्रकाश-वर्ष मूल्य का सीसा इसके माध्यम से उड़ने वाले लगभग आधे न्यूट्रिनो को ही रोक पाता है। इसे भूत कण कहे जाने को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि न्यूट्रिनो रेडियोधर्मी क्षय से निर्मित होते हैं, जैसे कि परमाणु रिएक्टरों में या जब असाधारण रूप से उच्च-ऊर्जा कण परमाणुओं से टकराते हैं। सबसे डरावने प्रकारों में तारों को शक्ति प्रदान करने वाली संलयन प्रतिक्रियाओं से उत्पन्न ऊर्जा की तुलना में इनमें लाखों से अरबों गुना अधिक ऊर्जा होती है। उच्च-ऊर्जा न्यूट्रिनो आकाशगंगा से परे आकाशगंगाओं से उत्पन्न होने के लिए जाने जाते हैं। मगर शोधकर्ताओं को लंबे समय से संदेह था कि इसका श्रोत हमारी अपनी आकाशगंगा भी हो सकता है और गहन अध्ययन के बाद यह मायावी रूप से सामने आया है।
इस खोज में अमुंडसेनस्कॉट साउथ पोल स्टेशन के आइसक्यूब न्यूट्रिनो वेधशाला ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीयू डॉर्टमुंड विश्वविद्यालय जर्मनी के एस्ट्रोपार्टिकल भौतिक विज्ञानी मिर्को ह्युनेफेल्ड समेत उनकी वैज्ञानिक टीम ने यह खोज की है।
वैज्ञानिक डा शशिभूषण पांडेय कहते हैं कि ब्रह्माण्ड रहस्यों का अथाह गहरा, अंधकार सागर है और कल्पनाओं से परे है। जिसकी हकीकत को हर कोई जानना चाहता है और वैज्ञानिक जगत तिल तिल कर उसे जानने की कोशिश कर रहा है। सच्चाई तो यह है कि ब्रह्मांडीय शक्ति के सामने हमारी कोई हैसियत ही नही है। बस एक दिमाग है, जिसके बलबूते यूनिवर्स को समझने का प्रयास किया जा रहा है। जिसमें मानव को सफलता भी मिल रही है और भूतिया कण इसका ताजा उदाहरण है।
श्रोत व फोटो: अर्थ स्काई।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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