यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का बढ़ा कदम, लॉन्च किया मिशन यूक्लिड, डार्क मैटर व डार्क एनर्जी की सुलझेगा रहस्य

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यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का बढ़ा कदम, लॉन्च किया मिशन यूक्लिड, डार्क मैटर व डार्क एनर्जी की सुलझेगा रहस्य

डार्क मैटर व डार्क एनर्जी वर्तमान में ब्रह्माण्ड के सबसे बढ़े रहस्य हैं। यह दोनों शक्तियां हैं, जो ब्रह्माण्ड को अपने इशारे पर नाचती हैं। इस रहस्य को जानने के किए दुनिया के वैज्ञानिक लंबे समय से संघर्षरत हैं। अब यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) ने मिशन यूक्लिड तैयार कर इसे शनिवार को लॉन्च कर दिया है।
इस मिशन का उद्देश्य पांच रहस्यों को उजागर करना है। जिनमें पहली खोज ब्रह्मांडीय वेब की संरचना और इसके इतिहास को जानना है। दूसरी खोज डार्क मैटर की प्रकृति को समझना है। तीसरा उद्देश्य समय के साथ ब्रह्मांड के विस्तार को जानना है। चौथा उद्देश्य डार्क एनर्जी की प्रकृति का पता लगाना है। पांचवीं खोज डार्क इनर्जी की असल शक्ति का पता लगाना है। यूक्लिड मिशन की खास बात यह होगी कि वह डार्क मैटर और डार्क एनर्जी को समझने की खोज में हमारे ब्रह्मांड का सबसे बड़ा 3डी मानचित्र बनाएगा। यूक्लिड अपने साथ
दृश्य-तरंगदैर्ध्य कैमरा( वीआईएस) ले गया है। इसके अलावा निकट-अवरक्त स्पेक्ट्रोमीटर, फोटोमीटर ले गया है। यह अत्याधुनिक उपकरण हैं, जो मिशन की उद्देश्य की पूर्ति कर पाने में सक्षम हैं। यह मिशन 10 अरब प्रकाशवर्ष तक फैली आकाशगंगाओं का निरीक्षण करेगा।
ब्रह्माण्ड को लेकर अभी तक वैज्ञानिक समझते हैं कि डार्क मैटर और डार्क एनर्जी दो विशाल मूलभूत छेद अथवा तत्व हैं। जिसमे ब्रह्माण्ड का लगभग 25 फीसद हिस्सा डार्क मैटर से बना है, लेकिन नहीं जानते कि यह क्या है। इसके अलावा ब्रह्मांड का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा डार्क एनर्जी से बना हुआ है। यह एक अज्ञात शक्ति जो ब्रह्मांड के विस्तार का कारण बन रही है। इनके अस्तित्व को लेकर समझते तो हैं, लेकिन वास्तविक रूप के बारे में कुछ नही जानते हैं।
पृथ्वी से 15 लाख किमी पर स्थापित किया जाएगा
यूक्लिड अंतरिक्ष यान सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज बिंदु 2 पर पहुंचेगा। अंतरिक्ष में यह क्षेत्र पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर है। इतनी ही दूरी पर वेब स्पेस टेलीस्कोप भी स्थापित की गई है। एल 2 की स्थिति अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के साथ संचार करने, पर्याप्त सौर ऊर्जा प्राप्त करने और गहरे अंतरिक्ष में झाँकने के लिए उत्कृष्ट स्थान है। लगभग चार सप्ताह बाद यूक्लिड को एल 2 कक्षा में पहुंच जाएगा। उपकरण परीक्षण का कार्य तीन माह तक चलेगा। इसके बाद ब्रह्मांड का सर्वेक्षण कार्य शुरू कर देगा।

श्रोत व फोटो: अर्थ स्काई।


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