एलियन का कोई ठिकाना नहीं चंद्रमा के भीतरी कोर में
यूरोपीय व अमेरिकी देशों में चंद्रमा के भीतरी कोर में एलियंस का ठिकाना होने की बातें कही जाती रही हैं, लेकिन ऐसा कुछ भी इसके आंतरिक कोर में नही है, बल्कि वह पृथ्वी के कर की तरह ठोस है। कई दशक बाद चंद्रमा के आंतरिक कोर का रहस्य अब साफ हो गया है। फ्रांस व पेरिस के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा का कोर पृथ्वी की तरह ठोस होने खुलासा किया है। यह खोज नेचर विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित हुई है।चंद्रमा के भीतरी संरचना को लेकर अनेक धारणा आम चंद्रमा की भूगर्भीय रचना को लेकर तरह के विचार व धारणाएं सामने आती रही हैं। कम ग्रेविटी का होने के कारण इसका कोर खोखला होने की धारणा बनी हुई थी। चंद्रमा पर पृथ्वी की तुलना में भूकंप भी अधिक आते हैं। साथ ही पूर्व में एलियंस का ठिकाना होने की धारणा आम थी।
5 सौ किमी व्यास का है इसका कोर
मगर सच्चाई से परे कोई ठोस सबूत हाथ न लगने के कारण तमाम बातें चांद को लेकर होते रही है। मगर अब इन कथनों में विराम लग जाएगा। एक नए अध्ययन से पता चला है कि चंद्रमा का आंतरिक कोर ठोस है। जिसका घनत्व लोहे के समान है। यह लगभग 500 किमी व्यास का है। वैज्ञानिकों के पिछले अनुमानों में भी कुछ यही नजर आता था। मगर अब संदेह की गुंजाइश नहीं रही।
1960 से शुरू हुई हो गई थी खोज
1960 के दशक से मानव, रोबोटिक लैंडर्स, रोवर्स और ऑर्बिटर्स सभी ने चंद्रमा के आंतरिक कोर की जानकारी जुटाते रहे। मगर ठोस सबूत नहीं मिल पाए। बकायदा इसका भीतरी कोर ठोस अथवा तरल होने को लेकर वैज्ञानिक हमेशा से चिंतित रहे। जिसके चलते गहन अध्ययन की जरूरत महसूस की जाती रही।
फ्रांस व पेरिस के वाज्ञानिकों की खोज
फ्रांस में कई संस्थानों के वैज्ञानिक , सीएनआरएस, यूनिवर्सिटी कोटे डी’ज़ूर, कोटे डी’ज़ूर ऑब्जर्वेटरी, सोरबोन यूनिवर्सिटी और पेरिस ऑब्जर्वेटरी पीएसएल के वाज्ञानिकों ने सामूहिक अध्ययन किया। इस अनुसंधान में भूभौतिकीय, भूगर्भीय बाधाओं और थर्मोडायनामिकल सिमुलेशन को विभिन्न तकनीकों से मॉडल तैयार किए और चंद्रमा की विभिन्न संभावित आंतरिक संरचनाओं का तुलनात्मक अध्ययन किया ।
बाहरी कोर तरल होने की भी हुई पुष्टि
पृथ्वी व चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण तथा घनत्व को भी अध्ययन में शामिल रहे। तब जाकर सटीक नतीजा सामने आया। इस शोध में इसकी पुष्टि हो गई कि चंद्रमा का बाहरी कोर तरल है, जो चंद्रमा के कुल आकार का लगभग 15 प्रतिशत है और आंतरिक कोर का घनत्व लगभग 7,822 किलोग्राम प्रति घन मीटर है। शोधकर्ताओं ने यह भी पुष्टि की कि बाहरी कोर द्रव है, और व्यास में 724 किमी है।
भारतीय वैज्ञानिकों ने कहा जरूरी थी यह खोज
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डा शशिभूषण पांडेय कहते हैं कि चंद्रमा वैज्ञानिकों का वह ठिकाना बनने जा रहा है, जो भविष्य में दूसरे ग्रहों पर पहुंचने की राह में मील का पत्थर साबित होगा। इसलिए इसकी भूगर्भीय जानकारी होना बेहद जरूरी थी। इसके ठोस कोर का सही पता चलने के बाद अगले मिशन तैयार किए जा सकते हैं।
श्रोत: सीएनआरएस।
फोटो: बबलू चंद्रा।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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