बुध ग्रह के क्रेटर, प्राचीन ज्वालामुखी व लावा के अलावा पर्यावरण का पता चला
दूर अंतरिक्ष के ग्रह नक्षत्रों की खैर खबर अब मुस्किल नही रही। हम पृथ्वी से करोड़ों किमी दूर के चांद तारों की खबर ले सकते हैं। अब हमें ऐसे ग्रह की खबर मिली है, जो हमारे सूर्य का सबसे नजदीकी ग्रह है और इसे देख पाना कतई आसान नहीं है। यह बुध ग्रह है। जिसकी खैर खबर हम तक पहुंचाने में हमारे वैज्ञानिक कामयाब हुए हैं। बुध ग्रह की भौगोलिक संरचना की जानकारी जुटाकर यूरोप व जापान स्पेस एजेंसी ने बढ़ा काम कर दिखाया है। खगोल विज्ञान की दुनिया में यह महत्त्वपूर्ण कामयाबी है। जिसे बेपीकोलंबो अंतरिक्ष यान के जरिए हासिल किया जा सका है। इस मिशन ने बुध के सतह के क्रेटर, प्राचीन ज्वालामुखीय चोटियों, पर्यावरण व लावा प्रवाह की दिलचस्प जानकारियां हम तक पहुंचाई हैं। दो दिन पहले ही अंतरिक्ष यान बेपीकोलंबो बुध ग्रह के बेहद करीब पहुंचा और उस काम को अंजाम तक पहुंचा दिया, जिसके लिए उसे भेजा गया था। इस यान ने बुध की धरती की कई तस्वीरें उपलब्ध करा दी। जिसे यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने आज जारी की है। इन तस्वीरों में सबसे बढ़ी सफलता बुध की धरती में मौजूद एक विशाल गड्ढा है । जिसे वैज्ञानिकों ने एडना मैनली नाम दिया है। वैज्ञानिक इस गड्डे की तस्वीर को अहम कामयाबी मान रहे हैं। यूके ओपन यूनिवर्सिटी में प्लैनेटरी जियोसाइंसेज के प्रोफेसर और बेपीकोलंबो साइंस इमेजिंग के सदस्य डेविड रोथरी का कहना है कि यान के फ्लाईबाई के लिए हमारी छवि योजना के दौरान, हमें एहसास हुआ कि यह बड़ा गड्ढा दिखाई देगा, लेकिन इसका अभी तक कोई नाम नहीं था। भविष्य में यह स्पष्ट रूप से बेपीकोलंबो वैज्ञानिकों के लिए दिलचस्पी का विषय होगा, क्योंकि इसने गहरे रंग की कम-परावर्तन सामग्री की खुदाई की है जो बुध की प्रारंभिक कार्बन-समृद्ध परत के अवशेष हो सकते हैं। इसके अलावा बुध के आंतरिक भाग में बेसिन का फर्श चिकने लावा से भरा हुआ है, जो बुध के ज्वालामुखीय गतिविधि के लंबे इतिहास को दर्शाता है। योजना के तहत यान बेपीकोलंबो ने बुध के आसमान में 236 किलोमीटर ऊपर से उड़ान भरी। इतने करीब से उड़ान भरना वैज्ञानिकों का मकसद इस ग्रह के पर्यावरण का माप करने और उसकी झुलसी हुई सतह की जानकारी जुटना था। जिसकी तस्वीर मिल गई। इन तस्वीरों के जरिए आगे का अध्ययन किया जा सकेगा। जिससे बुध की धरती के अंदरूनी कई रहस्यों का पता चल सकेगा।
बेपीकोलंबो 2018 में लॉन्च किया गया था। यह यूरोपीय व जापान का संयुक्त मिशन है। बेपीकोलंबो आंतरिक सौर मंडल के माध्यम से अपनी सात साल की यात्रा के अंतिम पड़ाव पर पहुंच रहा है। इस यात्रा के दौरान, बेपीकोलंबो 2025 के अंत में सूर्य की कक्षा से बुध की कक्षा में भेजा जाएगा। बुध की कक्षा में पहुंचाने के लिए पृथ्वी, शुक्र और बुध के गुरुत्वाकर्षण का सहयोग लिया जाएगा।
श्रोत व फोटो: स्पेस डॉट कॉम।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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