जलवायु परिवर्तन निगल गया मंगल का जल

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जलवायु परिवर्तन ने गायब किया मंगल का पानी

कभी मंगल भी पृथ्वी की तरह जल संपन्न था। झीलें, नदिया और समंदर समेत तमाम प्राकृतिक संसाधनों से मंगल की धरती धनधान्य था। मगर अब सबकुछ बदल गया है। ये धरती बियाबान ठंडे रेगिस्तान में तब्दील हो चुकी है। न कोई हलचल है और न नदियों का कलकल करता जल का कोलाहल है। अगर कुछ बचा है तो तन्हाई का बियाबान जंगल है। जलवायु परिवर्तन ने मंगल को निर्जीव बना दिया। हाल की खोज यही बताती है।

झील और तालाबों के तमाम निशान मंगल पर अकूत जल होने की संकेत हैं

पानी होने के तमाम निशान मंगल की धरती पर बिखरे पड़े हैं। कहां गया लाल ग्रह का अकूत जल, इसी खोज में नासा समेत दुनिया के वैज्ञानिक पता लगाने में जूझ रहे हैं। मगर अब जो पता चला है, वह चौंकाने वाला है। पृथ्वी में भी जलवायु परिवर्तन का चरण शुरू हो चुका है । कहीं हमारी धरा भी इसके गिरफ्त में न आ जाए। मौसम वैज्ञानिक आए दिन चेताते रहते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग से निजात ही हमें प्रकृति के कोप से बचा सकती है।

हमे हर हाल में ग्लोबल वार्मिंग से निजात पानी होगी

हमें हर हाल में अप्रिय नतीजों को सामने नही आने देना चाहिए। मंगल और पृथ्वी में कई तरह समानताएं हैं। मंगल में जलवायु समेत अनेक खोजें बताती हैं कि मंगल का अतीत प्राकृतिक संसाधनों से काफी समृद्ध रहा होगा।

क्यूरियोसिटी ने खोजे मंगल पर जल के सुराग 

हाल ही में नासा के क्यूरियोसिटी ने मंगल ग्रह के जलीय अतीत के आश्चर्यजनक सुराग खोजे हैं। जिससे पता चलता है कि लहरदार चट्टान की बनावट से पता चला है कि प्राचीन मंगल के एक क्षेत्र में झीलें मौजूद थीं। पानी सूखने के बाद नमकीन खनिज अपने पीछे कई निशान छोड़ गए थे । क्यूरियोसिटी टीम के वैज्ञानिक झीलों के भीतर बने प्राचीन जल तरंगों के अभी तक के मिशन के सबसे स्पष्ट साक्ष्य को खोजकर आश्चर्यचकित थी।

अरबों साल पहले हुआ करते थे पानी के सागर

इस खोज से अरबों साल पहले, एक उथली झील की सतह पर लहरें तल पर तलछट को उभारती थीं। जिस कारण समय के साथ चट्टान में छोड़ी गई लहरदार बनावट बन गई। दक्षिणी कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में क्यूरियोसिटी के परियोजना वैज्ञानिक अश्विन वासवदा का कहना है कि झील के हज़ारों फ़ुट के निक्षेपों के ऊपर चढ़े, इस तरह के साक्ष्य कभी नहीं देखे । अरबों साल पहले मंगल पर पानी सूखने की यह घटना हुई होगी। तब मंगल अपने प्राचीन अतीत में पृथ्वी जैसा था। गर्म जलवायु वाला था और भरपूर पानी मंगल की धरती पर रहा होगा, जो वर्तमान में ठंडा रेगिस्तान बन गया है।

अमूल्य अंग है जलवायु 

वैज्ञानिक कहते हैं कि यह संभव है कि इन मार्टियन चट्टानों में लयबद्ध पैटर्न लाल ग्रह की प्राचीन जलवायु में बदलाव की ओर इशारा करती है। इसी तरह की घटनाओं के परिणामस्वरूप मंगल के हालात बदल गए होंगे। यह ऐसी खोज है, जो बताती है कि जलवायु किसी भी ग्रह की सबसे अमूल्य हिस्सा है। जिसे हर हाल में सजोए रखना होगा।

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श्रोत &फोटो : नासा


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