जलवायु परिवर्तन ने बदल दी है मानसून की राह
भारत में होने वाली मानसूनी बारिश के ट्रैक अब बदल चुका है। अब मानसून में पूर्वी व मध्य भारत की जगह पश्चिमी भारत में अधिक बरसेंगे। साथ ही उन स्थानों में बरसा होने लगेगी, जो कभी सूखे रहते थे। मानसून ट्रैक बदलने से कृषि उपज में भारी बदलाव आएगा।
भारत में मानसून आर्थिक, सामाजिक व कृषि समेत कई दशाओं को प्रभावित करता है। अब तेजी से आ रहे जलवायु परिवर्तन से मानसून बारिश में बदलाव आने लगा है। यह बदलाव क्षेत्र स्तर पर आया है, हालाकि बारिश की मात्रा में कमी नही आई है। अतीत में पूर्वी व मध्य भारत सार्वाधिक बरसने वाले मानसूनी बारिश के केन्द्र हुआ करते थे। मगर इन क्षेत्रों से मानसून मूंह मोड़ चुका है। इसकी जगह पश्चिमी भारत में महाराष्ट्र व गुजरात समेत इनके समीपवर्ती क्षेत्रों में अधिक बरसा होने लगी है। मानसून ट्रैक में बदलाव आने से कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक बदलाव आएगा। मानसून ट्रैक में बदलाव आने की सबसे बढ़ी वजह तेजी से बढ़ रहे कार्बन डाइऑक्साइड के साथ ग्रीन गैसों में इजाफा होने से मानसून प्रभावित हुआ है। यह समस्या मानव जनित है। वृक्षों के अनियंत्रित दोहन से हरियाली में कमी आई है। जिसके चलते पर्यावरण संतुलन नियंत्रण से बाहर जाने लगा है। जिसे समय रहते संतुलित किया जाना बेहद जरूरी है, अन्यथा परिणाम परिणाम और भी दुष्प्रभावी हो सकते हैं।
इस बार दुनिया के वैज्ञानिकों की नजर रहेगी भारत के मानसून पर
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ पर्यावरण विज्ञानी डा नरेंद्र सिंह के अनुसार जलवायु परिवर्तन बढ़ी चिंता का कारण बनते जा रहा है। इसकी मार मानसून को प्रभावी करने लगी है। भारत में अधिकांश बारिश
मानसून की होती है। इधर पिछले कुछ सालों से इसके ट्रैक में बदलाव आ चुका है। जिसके चलते इस बार होने वाली मानसूनी बारिश में दुनियाभर के मौसम, पर्यावरण व वायु मंडलीय वैज्ञानिकों की नजर रहेगी।
चेरापूंजी अब नही रहा सार्वाधिक बरसा का केंद्र
देश का सार्वाधिक बरसा वाला क्षेत्र चेरापूंजी में अब पहली जैसी बरसा नही होती। अतीत में चेरापूंजी 10 हजार मिमी सालाना बरसा हुआ करती थी। इसके स्थान पर मासिनराम गाव में सर्वाधिक वर्षा वाला केंद्र बन गया है। यह क्षेत्र चेरापूंजी से 81 किमी की दूरी पर है।
श्रोत: एरीज, नैनीताल, इंडिया।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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