अजीबो गरीब है इनकी दुनिया 

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ग्रहों की अजीबो गरीब दुनिया 

शुक्र

इन दिनों आसमां में शुक्र ग्रह अनूठी छटा बिखेर रहा है। इसकी सुंदरता में कतई मत जाइए। ये सिर्फ देखने में ही मनमोहक है, लेकिन इससे खतरनाक कोई दूसरा ग्रह नही है। यह लोहे को पिघला देनी एक भट्टी जैसी है। देखने में भला कौन कहेगा कि यह हमारे सौर परिवार का सबसे गरम ग्रह है। हाइड्रोजन के बादल इसके सिर के ऊपर मडराते हैं और रह रह कर तेजाब की बारिश करते हैं। यह सूर्य का दूसरा ग्रह है और प्रत्येक 224.7 पृथ्वी दिनों मे सूर्य परिक्रमा करता है। इस ग्रह का नामकरण प्रेम और सौंदर्य की रोमन देवी पर हुआ है। चंद्रमा के बाद यह रात्रि आकाश में सबसे चमकीला प्राकृतिक ग्रह है। इसका आभासी परिमाण यानी चमक -4.6 के स्तर तक पहुँच जाती है । आपकी नजरें बहुत तेज हों तो दिन के उजाले में भी इसे देख सकते हैं। शुक्र एक अवर ग्रह है। इसलिए पृथ्वी से देखने पर यह कभी सूर्य से दूर नज़र नहीं आता है: इसका प्रसरकोण 47.8 डिग्री के अधिकतम तक पहुँचता है। शुक्र सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद केवल थोड़ी देर के लिए ही अपनी अधिकतम चमक पर पहुँचता है। यहीं कारण है कि सुबह व शाम का तारा का भी कहा जाता है। इसे धरती तक जुड़वा ग्रह भी कहा जाता है। कभी इस ग्रह पर पृथ्वी की तरह समंदर और नदिया हुआ करती थी। मगर समझा जाता है कि ग्लोबल वार्मिंग ने इसे तेजाबी ग्रह बना दिया। इस ग्रह की जानकारी जुटाने के इसरो अंतरिक्ष यान भेजने की योजना बना रहा है। जिसे 2030 में लॉन्च किया जाएगा।

गुरु

बृहस्पति हमारे सौर परिवार का विशाल गैसीय ग्रह है, जो इन दिनों जबरदस्त चमक बिखेरता नजर आ रहा है। यह शुक्र के कुछ ऊपर नजर आ रहा। इस ग्रह पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। बृहस्पति सूर्य से पांचवां ग्रह है और सौर मंडल में सबसे बड़ा है। इसका द्रव्यमान सौर मंडल के अन्य सभी ग्रहों के संयुक्त द्रव्यमान के ढाई गुना से अधिक है, और सूर्य के द्रव्यमान के एक-हजारवें हिस्से से थोड़ा कम है। चंद्रमा और शुक्र के बाद बृहस्पति पृथ्वी के रात्रि आकाश में तीसरी सबसे चमकीला ग्रह है। इसे प्रागैतिहासिक काल से देखा गया है। इसका नाम प्राचीन रोमन के प्रमुख देवता ज्यूपिटर के नाम पर रखा गया था। इसके दर्जनों उपग्रह हैं। खास बात यह है कि इस ग्रह पर छोटे बड़े पिंड समाते रहते हैं। इस ग्रह पर जबरदस्त तूफान है, लाखों वर्ष बीतने के बावजूद अभी तक नही थमा है। इसके बीच एक रेड स्पॉट बना हुआ है। जिसका आकार निरंतर बड़ता जा रहा है। गुरु को रक्षक के रूप में भी माना जाता है। क्यों माना जाता है इस बारे में विस्तार से फिर कभी जिक्र करेंगे।

चन्द्रमा

चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। इसकी मनमोहनी छवि हर किसीको को अपनी ओर आकर्षित करती है। यह सौर मंडल का पाँचवां सबसे विशाल उपग्रह है। इसका आकार क्रिकेट बॉल की तरह गोल है। यह खुद से नहीं, बल्कि यह तो सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है। पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी 384000 किलोमीटर है। यह दूरी पृथ्वी के व्यास का 30 गुना है। चन्द्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से 1/6 है। यह पृथ्वी कि परिक्रमा 27.3 दिन में पूरा करता है और अपने अक्ष के चारो ओर एक पूरा चक्कर भी 27.3 दिन में लगाता है। चन्द्रमा का एक ही हिस्सा या फेस हमेशा पृथ्वी की ओर होता है। यदि चन्द्रमा पर खड़े होकर पृथ्वी को देखे तो पृथ्वी साफ़ साफ़ अपने अक्ष पर घूर्णन करती हुई नजर आएगी लेकिन आसमान में उसकी स्थिति सदा स्थिर बनी रहेती है। अर्थात पृथ्वी को कई वर्षो तक निहारते रहो वह अपनी जगह से टस से मस नहीं होगी। पृथ्वी- चन्द्रमा-सूर्य ज्यामिति के कारण चन्द्र दशा हर 29.5 दिनों में बदलती है। बृहस्पति के उपग्रह lo के बाद चन्द्रमा दूसरा सबसे अधिक घनत्व वाला उपग्रह है। सूर्य के बाद आसमान में सबसे अधिक चमकदार चन्द्रमा है। समुद्री ज्वार और भाटा चन्द्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण आते हैं। चन्द्रमा की तात्कालिक कक्षीय दूरी, पृथ्वी के व्यास का 30 गुना है। इसीलिए आसमान में सूर्य और चन्द्रमा का आभासीय आकार हमेशा सामान नजर आता है। पथ्वी से चंद्रमा का 59 % भाग दिखता है। जब चन्द्रमा अपनी कक्षा में घूमता हुआ सूर्य और पृथ्वी के बीच से होकर गुजरता है और सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है  सूर्य ग्रहण कहते हैं।

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श्रोत: एरीज।

फोटो: बबलू चंद्रा।


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