क्षुद्रग्रह 2023 ई वाई आज रात गुजरेगा चांद के करीब से

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क्षुद्रग्रह 2023 ई वाई आज रात गुजरेगा चांद के करीब से

क्षुद्रग्रह 2023 EY पृथ्वी से करीब 239,000 किमी की दूरी से गुजरेगा, जबकि इससे भी कम दूरी के साथ चंद्रमा के करीब से गुजरने जा रहा है। इस क्षुद्रग्रह पर वैज्ञानिक निरंतर नजर रखे हुए हैं। हमारी धरती और चंद्रमा से टकराने की आशंका से नासा ने इंकार किया है। नासा इस क्षुद्रग्रह को लाइव दिखाने जा रहा है। यह क्षुद्रग्रह 17 मार्च, 2023 को भारतीय समयानुसार सुबह 7 बजे पृथ्वी के न्यूनतम दूरी पर पहुंचेगा।

तीन दिन पहले देखा गया इस पिंड को

ATLAS क्षुद्रग्रह प्रभाव प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के हवाई विश्वविद्यालय द्वारा विकसित और नासा द्वारा वित्त पोषित इस क्षुद्रग्रह को 13 मार्च, 2023 को खोजा गया था । चार टेलीस्कोप ने पहली बार इसे देखा। जिसमें हवाई की दो, चिली और दक्षिण अफ्रीका की दूरबीन से देखा गया ।

कई जानकारी मिलेगी नजदीक आने पर

पृथ्वी के नजदीक पहुंचने के कारण इस क्षुद्रग्रह के बारे में कई जानकारी जुटाई जा सकेगी। इस क्षुद्रग्रह का आकार अधिक बढ़ा नही होगा। यदि यह बढ़े आकार का होता तो इसका बहुत पहले पता चल गया होता। इसकी नजदीकी को देखकर क्षुद्रग्रह वैज्ञानिकों का कहना है कि कई नई जानकारी जुटाई जा सकेंगी।

दो सप्ताह पहले मिला क्षुद्रग्रह भी नही टकराएगा धरती से

दो सप्ताह पहले मिले क्षुद्रग्रह के पृथ्वी से टकराने की आशंका जताई जा रही है। इसका नाम क्षुद्रग्रह 2023 डी डब्लू दिया गया है। 2046 में इसके पृथ्वी से टकराने की आशंका जताई जा रही थी। मगर दूसरी बार की गणना ने इसके टकराने की संभावना को सिरे से नकार दिया है।

इस क्षुद्रग्रह के टकराने की संभावना भी हुई खारिज

क्षुद्रग्रह एपोफिस की एक दशक पहले पृथ्वी से टकराने की संभावना जताई गई थी। इसका आकार लगभग आधा किमी है। 2029 में इसके टकराने की संभावना जताई थी। इसके बाद की गई गणना में अनुमान लगाया गया कि 2036 में टकराएगा। मगर नासा के वैज्ञानिकों की गणना ने इसके टकराने की संभावना की खारिज कर कर दिया।

बहुत छोटे क्षुद्रग्रह का करीब पहुंचने पर चल पाता है पता

छोटे क्षुद्रग्रहों का पृथ्वी के नजदीक पहुंचने पर ही पता चल पाता है। आकार में छोटे होने के कारण दूरबीन की पकड़ में नहीं आ पाते और जब बेहद करीब पहुंच जाते हैं, तो तभी देख पाते हैं। मगर अच्छी बात यह है कि इनसे पृथ्वी को बढ़ा खतरा नहीं होता है। दस मीटर से छोटे आकार के एस्टीरॉय आसमान पृथ्वी के वातावरण जल जाते हैं। जिस कारण इनसे कोई खतरा नहीं होता।

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श्रोत: अर्थ स्काई।

फोटो: नासा।


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