भारत का बड़ा मान: एरीज की दूर अंतरीक्ष में चौंका देने वाली महा विस्फोट की बड़ी खोज।
भारतीय अंतरीक्ष एजेंसी एरीज ने एक ऐसी खोज की है, जिसने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में देश का दुनिया में मान बढ़ाया है। दुनिया में पहली बार इस तरह की खोज हुई है। पृथ्वी से एक अरब प्रकाश वर्ष दूर दो बड़े तारों के बीच जबरदस्त टकराव हुआ है। जिसमें उच्च ऊर्जा प्रकाश वाले जीआरबी विस्फोट को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि इस खोज से ब्रह्माण्ड में पैदा होने वाले सोना व प्लेटिनम जैसे बहुमूल्य धातुओं के पैदा के प्रक्रिया का पता चलेगा। साथ ही आकाशगंगाओं में होने वाले गामा रे विस्फोट की उत्पत्ति को समझन पाएंगे।
एरीज के डा शशिभूषण पांडेय के नेतृत्व में हुई बड़ी खोज
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वैज्ञानिकों ने यह महत्वपूर्ण खोज की है और इस खोज के मुखिया हैं देश के प्रसिद्ध खगोल वैज्ञानिक डा शशिभूषण पांडेय। डा पांडेय के नेतृत्व में एरीज के शोध छात्र राहुल गुप्ता, अमर आर्यन, अमित कुमार व डा कुंतल मिश्रा शामिल रहे। इस खोज का अंतराष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व रोम विश्व विद्यालय के डा एलोनोरा ट्रोजा ने किया।
यह झकझोर देने वाली खगोलीय घटना थी
यह झकझोर देने वाली घटना है। इस घटना को देख वैज्ञानिक आश्चर्यचकित हो गए। दरअसल ब्रह्माण्ड में भयानक विस्फोटक घटनाएं होती हैं। जिनके बारे में हमारे वैज्ञानिक आज भी अधिक नही जान पाए हैं। ऐसी ही एक घटना गामा रे विस्फोट हैं। इस खगोलीय घटना में दो विशाल तारों के बीच जबर्दस्त टक्कर होती है और फिर वह दोनो एक दूसरे के समा जाते हैं , यानी उनका आपस में विलय हो जाता है। इनके आपस में टकराने से जबरदस्त विस्फोट होता है और तेज रोशनी के साथ उच्च ऊर्जा उत्पन्न होती है। ऐसे विस्फोटों में चन्द सेकंड में इतनी ऊर्जा निकलती है, जो हमारे सूर्य के जीवनभर की ऊर्जा से भी कहीं अधिक होती है।
GRB 211211A है इसका नाम
जिसे देख पाने में एरीज की 3.6 मीटर( डॉट) ऑप्टिकल दूरबीन की बड़ी भूमिका रही है। इसके अलावा अंतरिक्ष की हबल दूरबीन कलर ऑल्टो ओब्जर्वटरी के अलावा कई अन्य पृथ्वी में स्थापित दूरबीनों का सहारा लिया गया। जिसमें एरीज की 3.6 मीटर व्यास की दूरबीन के साथ 4k4k सीसीडी इमेजर की बड़ी भूमिका रही। जिसने ऐसे सटीक आंकड़े जुटाए , जिससे इस खोज में बड़ी मदद मिल पाई।
डॉट, हबल, कलर ऑल्टो दूरबीन की अहम भूमिका
डा शशिभूषण पांडेय ने बताया कि यह विस्फोट पृथ्वी से एक अरब प्रकाश वर्ष दूर हुआ। जिसे एरीज की डॉट, हबल, कलर ऑल्टो ओब्जर्वटरी के अलावा कई अन्य जमीनी दूरबीनों का सहारा लिया गया। डा पांडेय का कहना है कि इस घटना से खोज की दिशा में नई संभावनाओं को बल मिलता है, वहीं जीआरबी जैसी घटनाओं को हमारी समझ के लिए भी चुनौती है। यह घटना पृथ्वी से नजदीक की थी। जिस कारण इस घटना में एक किलोवार के मंद प्रकाश को देख सके। इससे भी दूर इस तरह की घटनाएं होती होंगी, जिन्हे हम देख नहीं सकते। नजदीक यानी एक अरब प्रकाश वर्ष दूर होने के कारण जमीन की दूरबीनों से यह खोज हो सकी।
नेचर पत्रिका में आज प्रकाशित हुई खोज
इस अप्रत्याशित खोज में एरीज डा शशिभूषण पांडेय के साथ राहुल गुप्ता, अमर आर्यन, अमित कुमार व डा कुंतल मिश्रा शामिल रहे। इस शोध का नेतृत्व रोम विश्व विद्यालय के डा एलोनोरा ट्रोजा ने किया। एरीज की डॉट दूरबीन से प्राप्त डेटा की सराहना की है। नेचर पत्रिका में प्रकाशित हो गया है।
इस खोज ने बढ़ाया देश का मान
एरीज के निदेशक प्रो दीपांकर बनर्जी ने कहा कि इसमें दोराय नही कि एरीज निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है और इस खोज से देश को खगोल विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी दी है। एरीज के वैज्ञानिक इस खोज से बेहद खुश हैं और उम्मीद करते हैं कि एरीज भविष्य में भी इसी तरह की खोजों को अंजाम देते रहेगा।
https://space23lyear.com
श्रोत: डा शशिभूषण पांडेय, एरीज
फोटो: एरीज के सौजन्य से।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
और अधिक जानें