एक साथ 59 ग्रहों की आश्चर्यजनक खोज
बाहरी ग्रहों की खोज में खगोलविद नित नए आयाम स्थापित कर आश्चर्य में व्यक्त करने को मजबूर कर देते हैं। अब ऐसी ही एक खोज की गई है। जिसमें वैज्ञानिकों ने एक साथ 59 नए ग्रह खोजने का कीर्तिमान बनाया है। ये सभी ग्रह अपने तारों के चक्कर लगा रहे हैं। जिनमें 12 ग्रह जीवन योग्य हो सकते हैं। इस खोज को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि अब वह दिन जब पृथ्वी के समान रहने योग्य ग्रह खोज लिया जाएगा।
पृथ्वी, बृहस्पति व नेपच्यून ग्रहों के बराबर हैं ये ग्रह
खोजे गए इन बाहरी ग्रहों में छह बृहस्पति जैसे विशाल ग्रह हैं। जिनका द्रब्यमान पृथ्वी के 50 गुना से अधिक है। 10 ग्रह नेपच्यून के बराबर हैं, जो 10 से 50 पृथ्वी के द्रव्यमान के बराबर हैं। इनके अलावा 43 पृथ्वी के बराबर हैं। सबसे आश्चर्यजनक खोज यह है कि 12 ग्रह में किसी भी प्रकार के जीवन के लिए संभावित माने जा रहे हैं। खगोलविदों का कहना है कि इनके अलावा कम से कम आठ पृथ्वी और सुपर-अर्थ-आकार के ग्रह अपने सितारों के रहने योग्य क्षेत्र में मौजूद हैं। यह ग्रह चट्टानी हैं और तापमान जीवन के अनुकूल हो सकता है। साथ ही इन ग्रहों में तरल रूप में जल हो सकता है।
65 प्रकाश वर्ष के दायरे में है ये दुनिया
अभी तक 5,000 से अधिक एक्सोप्लैनेट यानी बाहरी ग्रहों की पुष्टि हो चुकी है। 22 फरवरी 2023 को स्पेन और जर्मनी के खगोलविदों ने 59 नई दुनिया की खोज का नायाब दावा किया। वे सभी हमारे सौर परिवार से लगभग 65 प्रकाश वर्ष दूर हैं। यह दूरी कम भी हो सकती है। इधर खगोलविदों ने 362 सितारों के 20,000 से अधिक ग्रहों का अध्ययन कर रहे हैं।
कारमेनस की रही अहम भूमिका
CARMENES प्रोजेक्ट कंसोर्टियम के तहत यह खोज हुई है। नए पाए गए सभी ग्रह लाल बौने तारे की परिक्रमा कर रहे हैं। खास बात यह है कि उनमें से 12 संभावित रूप से रहने योग्य हैं। एक और बड़ी बात यह है कि एक तारा लाल बौना तारा है। कारमेनस वैज्ञानिक उपकरण स्पेन में कैलार आल्टो वेधशाला में स्थापित है। यह एक्सोप्लैनेट खोजने के लिए डॉपलर स्पेक्ट्रोस्कोपी ( ट्राई-एंड-ट्रू रेडियल वेलोसिटी मेथड) का उपयोग करता है। इसीके जरिए यह खोज हुई है।
बार बार देखकर की गई पुष्टि
आईसीई-सीएसआईसी में आईईईसी के शोधकर्ता जुआन कार्लोस मोरालेस ने बताया कि
11 स्पेनिश और जर्मन संस्थानों के 200 से अधिक वैज्ञानिक इस खोज में शामिल हुए थे। तारों का फिर से अवलोकन किया। 2021 से खोज शुरू हुई। नए ग्रहों की सटीक पुष्टि करने के लिए प्रत्येक ग्रह व तारे की कम से कम 50 बार निरीक्षण किया गया।
डा शशिभूषण पांडेय, एरीज से।
भारतीय खगोल वैज्ञानिक डा शशिभूषण पांडेय कहते हैं कि नई तकनीक बड़ने से खोज की रह आसान होने लगी है। हमसे बहुत ग्रहों को पहचान पाना और उनकी सरचना समेत उनके वातावरण की पहचान कर पाना नवीन तकनीक के जरिए ही संभव हो रही हैं। आने वाले समय में तकनीक में अधिक सुधार होगा तो निश्चित ही परिणाम सामने आएंगे।
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स्रोत: कारमेनस ने एम ड्वार्फ्स के चारों ओर एक्सोप्लैनेट व कारमेनस ने एम ड्वार्फ्स के आसपास एक्सोप्लैनेट की खोज ।
फोटो: नासा / एम्स रिसर्च सेंटर / डैनियल रटर के माध्यम से।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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